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किस दिन है चंपा षष्ठी का व्रत

चंपा षष्ठी 2024: दिसंबर में इस दिन है चंपा षष्ठी का व्रत, जानें शुभ तिथि और मुहूर्त 


चंपा षष्ठी का पर्व भारत के प्राचीन त्योहारों में से एक है, जो विशेष रूप से भगवान शिव के खंडोबा स्वरूप और भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए समर्पित है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह व्रत मनाया जाता है। इसे महाराष्ट्र, विशेषकर पुणे और जेजुरी क्षेत्र में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के रुद्रावतार खंडोबा को हल्दी, फूल और अन्य सामग्री अर्पित की जाती है। 2024 में यह पर्व शनिवार, 7 दिसंबर को मनाया जाएगा। इसे पुण्य फलदायी मानते हुए लोग व्रत रखते हैं और भगवान की पूजा करते हैं।


चंपा षष्ठी की शुभ तिथि और मुहूर्त


  • चंपा षष्ठी व्रत 7 दिसंबर 2024, शनिवार को मनाया जाएगा।
  • षष्ठी तिथि प्रारंभ: 6 दिसंबर 2024 को दोपहर 12:07 बजे।
  • षष्ठी तिथि समाप्त: 8 दिसंबर 2024 को सुबह 11:05 बजे।


महाराष्ट्र में होती है भगवान खंडोबा की पूजा


यह पर्व खासतौर पर महाराष्ट्र के जेजुरी में स्थित खंडोबा मंदिर में धूमधाम से मनाया जाता है। यहां भगवान खंडोबा की पूजा के साथ-साथ मेले का आयोजन होता है। इस अवसर पर भक्त हल्दी, फल और सब्जियां भगवान को अर्पित करते हैं।


चंपा षष्ठी पर्व का महत्व


चंपा षष्ठी का पर्व धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान शिव के खंडोबा अवतार और भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। यह दिन व्यक्ति के पापों का नाश करने और जीवन में सुख-शांति लाने वाला माना जाता है।


  • भगवान खंडोबा की पूजा: खंडोबा भगवान को भगवान शिव का रूद्र अवतार माना जाता है। उन्हें मार्तण्ड भैरव और मल्हारी भी कहा जाता है। इस दिन खंडोबा की पूजा में हल्दी का विशेष महत्व है। भक्त हल्दी चढ़ाकर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करते हैं।
  • शिवलिंग की होती है पूजा: इस दिन शिवलिंग पर दूध, गंगाजल और चंपा के फूल अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि इससे सभी कष्ट दूर होते हैं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
  • पौराणिक कथा: इस पर्व को स्कंद षष्ठी से भी जोड़ा जाता है। कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मणि और मल्ह नामक दैत्यों का वध खंडोबा रूप में किया था। इस दिन खंडोबा और देवी पार्वती की शक्ति का पूजन भी किया जाता है।


चंपा षष्ठी पर होने वाले विशेष आयोजन


  • खंडोबा मंदिर, जेजुरी: महाराष्ट्र के जेजुरी में स्थित खंडोबा मंदिर इस पर्व का मुख्य केंद्र है। यहां भगवान खंडोबा की मूर्ति को हल्दी और फूल चढ़ाए जाते हैं। इस दिन मंदिर में भव्य मेले का आयोजन होता है।
  • व्रत और पूजा: इस दिन लोग उपवास रखते हैं और सूर्यदेव की पूजा करते हैं। प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व स्नान कर भगवान को जल अर्पित किया जाता है। यह दिन भूमि पर शयन करने के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया है।


पर्व की पौराणिक कथाएं


  • खंडोबा और दैत्यों का वध: प्राचीन कथा के अनुसार मणि और मल्ह नामक दैत्य अपने अत्याचारों से पृथ्वीवासियों को परेशान कर रहे थे। भगवान शिव ने खंडोबा रूप में अवतार लिया और 6 दिनों तक युद्ध करके उनका वध किया। इस घटना को चंपा षष्ठी के रूप में मनाया जाता है।
  • कार्तिकेय की कथा: भगवान कार्तिकेय ने मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को तारकासुर का वध किया था। इसी दिन से उन्हें देवताओं की सेना का सेनापति नियुक्त किया गया। उनकी पूजा मंगल दोष निवारण के लिए भी अत्यंत शुभ मानी जाती है।


चंपा षष्ठी व्रत के लाभ


  • पापों का नाश और कष्टों से मुक्ति।
  • जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन।
  • मंगल ग्रह के दोषों का निवारण।
  • भगवान शिव और कार्तिकेय की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति।


सुख शांति पाने के लिए करें व्रत


चंपा षष्ठी धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन भगवान शिव के खंडोबा रूप और भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। यह पर्व श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है और मानव जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भरने का माध्यम भी है।


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