नवीनतम लेख

फाल्गुन मास की पौराणिक कथा

Phalgun Month katha: क्या है फाल्गुन नाम रखने के पीछे की वजह? जानिए पौराणिक कथा और इसका महत्व


‘फाल्गुन’ का महीना हिंदू पंचांग का अंतिम महीना होता है। इस मास की पूर्णिमा फाल्गुनी नक्षत्र में होती है। जिस कारण इस महीने का नाम फाल्गुन पड़ा है। इस महीने को आनंद और उल्लास का महीना भी कहा जाता है। इस महीने से धीरे धीरे गर्मी की शुरुआत होती है और सर्दी कम होने लगती है। इस महीने से खानपान और दिनचर्या में बदलाव के साथ चंचलता को नियंत्रित रखना भी जरूरी है। दरअसल, इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। तो आइए, इस आर्टिकल में फाल्गुन मास की पौराणिक कथा और इसके महत्व के बारे में जानते हैं। 


फाल्गुन मास की पौराणिक कथा


पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग के समय की बात है। उस समय एक बड़ा ही धर्मात्मा राजा था। उसके राज्य में एक ब्राह्मण था, उसका नाम विष्णु शर्मा था। विष्णु शर्मा के 7 पुत्र थे और वे सातों अलग-अलग रहते थे। जब विष्णु शर्मा का वृद्धावस्था का समय आया, तो उसने सब बहुओं से कहा, तुम सब गणेश का व्रत करो। 

खुद विष्णु शर्मा भी इस व्रत को किया करता था। अब बूढ़ा हो जाने पर वो यह दायित्व अपनी बहूओं को सौंपना चाहता था। जब उसने बहुओं से इस व्रत के लिए कहा, तो बहूओं ने नाक सिकोड़ते हुए उसकी आज्ञा ना मानकर उसका अपमान कर दिया। अंत में छोटी बहू ने अपने ससुर की बात मान ली और पूजन की व्यवस्था करके यह व्रत किया।

इस दौरान उसने कोई भोजन ग्रहण नहीं किया परंतु ससुर को भोजन करा दिया।

जब आधी रात बीती, तो विष्णु शर्मा को उल्टी और दस्त लग गए, तब छोटी बहू ने मलमूत्र में भरे गंदे कपड़ों को साफ करके ससुर के शरीर को धोया और पोंछा। इस दौरान, पूरी रात बिना कुछ खाए-पिए जागती रही।

 

फिर गणेश जी ने उन दोनों पर अपनी कृपा की। ससुर का स्वास्थ्य ठीक हो गया और छोटी बहू का घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया। तत्पश्चात अन्य बहुओं को भी इस घटना से प्रेरणा मिली और उन्होंने भी श्री गणेश जी का व्रत किया, इस कारण फाल्गुन मास में जो भी भक्त सच्चे मन से गणेश जी का व्रत करता है, गजानन उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। 

 

इस महीने जरूर करें ये उपाय 


अगर क्रोध या चिड़चिड़ाहट की समस्या है तो श्रीकृष्ण को पूरे महीने नियमित रूप से अबीर गुलाल अर्पित करें। वहीं, अगर मानसिक अवसाद की समस्या है तो सुगन्धित जल से स्नान करें और चन्दन की सुगंध का प्रयोग करें। इसके अलावा यदि स्वास्थ्य की समस्या है तो शिव जी को पूरे महीने सफ़ेद चंदन अर्पित करें। और आर्थिक समस्या हो तो पूरे महीने माँ लक्ष्मी को गुलाब का इत्र या गुलाब अर्पित करें। 


भोले तेरी कृपा से युग आते युग जाते है (Bhole Teri Kripa Se Yug Aate Yug Jate Hain)

भोले तेरी कृपा से
युग आते युग जाते है

हे नाम रे सबसे बड़ा तेरा नाम (Hai Nam Re Sabse Bada Tera Nam)

काल के पंजे से माता बचाओ,
जय माँ अष्ट भवानी,

मासिक शिवरात्रि पर शिव चालीसा पाठ

हिंदू पंचाग में प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी 14वें दिन मासिक शिवरात्रि के मनाई जाती है। इस विशेष दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है।

दर्शन को अखियाँ प्यासी है, कब दर्शन होगा श्याम धणी(Darshan Ko Akhiyan Pyasi Hai, Kab Darshan Hoga Shyam Ghani)

दर्शन को अखियाँ प्यासी है,
कब दर्शन होगा श्याम धणी,