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दीवाली कलश पूजा (Diwali Kalash Puja)

सबसे पहले कलश पर मौली बांधकर ऊपर आम का एक पल्लव रखें। कलश में सुपारी, दूर्वा, अक्षत, सिक्का रखें। नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देवता का कलश में आह्वान करें। “ ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:। (अस्मिन कलशे वरुणं सांग सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥) अब नियमानुसार सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें।


>> हाथ में फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें और ये मंत्र बोलें: “गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्। 


>> आवाहन मंत्र: हाथ में अक्षत लेकर बोलें- “ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।।” और अक्षत पात्र में अक्षत छोड़ें।


>> पद्य, आर्घ्य, स्नान, आचमन मंत्र: एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:। 


>> इस मंत्र से चंदन लगाएं: इदम् रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:, इसके बाद- इदम् श्रीखंड चंदनम् बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। 


>> अब सिन्दूर लगाएं: “इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:। दूर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को चढ़ाएं। गणेश जी को लाल वस्त्र पहनाएं। इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि।


>> गणेश जी को प्रसाद चढ़ाएं: इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। 


>> मिठाई अर्पित करने के लिए मंत्र: – इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। अब आचमन कराएं। इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:। 


>> इसके बाद पान सुपारी दें: इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। 


>> अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:।


कलश पूजन के बाद कुबेर और इंद्र सहित सभी देवी देवताओं की पूजा गणेश पूजन की तरह करें। बस गणेश जी के स्थान पर संबंधित देवी-देवताओं के नाम लें।


मेरो खोय गयो बाजूबंद (Mero Khoy Gayo Bajuband)

उधम ऐसो मच्यो बृज में,
सब केसर उमंग मन सींचे,

हे आनंदघन मंगलभवन, नाथ अमंगलहारी (Hey Anand Ghan Mangal Bhawa)

हे आनंदघन मंगलभवन,
नाथ अमंगलहारी,

फुलेरा दूज का श्रीकृष्ण से संबंध

फुलेरा दूज का त्योहार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है और धूमधाम से मनाया जाता है।

सारे तीर्थ धाम आपके चरणो में(Sare Tirath Dham Apke Charno Me)

सारे तीर्थ धाम आपके चरणो में ।
हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में ।

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