नवीनतम लेख

भगवान हनुमान जी की पूजा विधि

जानिए श्री हनुमान जी की पूजा विधि, इन मंत्रों से प्रसन्न होंगे रामदूत 



हनुमान जी की पूजा में विशेष मंत्रों और नियमों का पालन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पूजन की शुरुआत गणपति वंदना से होती है, जिसके बाद हनुमान जी को स्नान, वस्त्र, आभूषण, सिंदूर, धूप-दीप और प्रसाद अर्पित किया जाता है। ध्यान, आह्वान और आरती के साथ सम्पन्न होने वाली इस विधि में मंत्रों का उच्चारण भक्त की श्रद्धा को और प्रबल बनाता है। इस प्रकार विधिपूर्वक की गई पूजा से भगवान हनुमान साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं। तो आइए इस आलेख में भगवान हनुमान जी की पूजा विधि, नियम और महत्व के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं।

क्या है हनुमान जी की पूजा विधि? 


श्री हनुमान जी का पूजन करते समय सबसे पहले कंबल या ऊन के आसन पर और अगर संभव हो सके तो लाल रंग के आसन पर पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश जी का पूजन करें। श्री गणेश जी को स्नान कराकर उन्हें वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत से पूजन करें। उसके बाद अब श्री हनुमान जी की पूजा करें। पहले श्री हनुमान जी को पंचामृत व जल से स्नान कराएं। उन्हें वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं। अब पुष्पमाला पहनाएं। अब तिलक करें। “ऊँ ऐं हनुमते रामदूताय नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमान जी को सिंदूर का तिलक लगाएं। अब धूप व दीप अर्पित करें। फूल अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं। इसके पश्चात अपने हाथ में चावल व फूल लें व इस मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमान जी का ध्यान करें।

श्री हनुमान पूजा ध्यान मंत्र

 
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
ऊँ हनुमते नम: ध्यानार्थे पुष्पाणि सर्मपयामि।।

मंत्र उच्चारण करने के बाद हाथ में लिया हुआ चावल व फूल श्री हनुमान जी को अर्पित कर दें। इसके बाद हाथ में फूल लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमान जी का आह्वाहन करें एवं उन फूलों को हनुमानजी को अर्पित कर दें।

हनुमान जी का आह्वाहन मंत्र 


उद्यत्कोट्यर्कसंकाशं जगत्प्रक्षोभकारकम्।
श्रीरामड्घ्रिध्याननिष्ठं सुग्रीवप्रमुखार्चितम्।।
विन्नासयन्तं नादेन राक्षसान् मारुतिं भजेत्।।
ऊँ हनुमते नम: आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि।।

हनुमान जी का आसन मंत्र 


नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमान जी को आसन अर्पित करें (आसन के लिए कमल अथवा गुलाब का फूल अर्पित करें) अथवा चावल या पत्ते आदि का भी उपयोग हो सकता है।

तप्तकांचनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम्।
अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम्।।

इसके बाद इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए श्री हनुमानजी के सामने किसी बर्तन अथवा भूमि पर तीन बार जल छोड़ें। 

श्री हनुमान पूजा मंत्र 


ऊँ हनुमते नम:,
पाद्यं समर्पयामि।।
अध्र्यं समर्पयामि।
आचमनीयं समर्पयामि।।

इसके बाद श्री हनुमानजी को गंध, सिंदूर, कुंकुम, चावल, फूल व हार अर्पित करें। अब इस हनुमान पूजन मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमान जी को धूप-दीप दिखाएं। 

मंत्र:


साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम्।।
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।।
त्राहि मां निरयाद् घोराद् दीपज्योतिर्नमोस्तु ते।।
ऊँ हनुमते नम:, दीपं दर्शयामि।। 

इसके बाद केले के पत्ते पर या किसी कटोरी में पान के पत्ते के ऊपर प्रसाद रखें और श्री हनुमानजी को अर्पित कर दें तत्पश्चात ऋतुफल अर्पित करें। 
इसके बाद एक थाली में कर्पूर एवं घी का दीपक जलाकर श्री हनुमानजी की आरती करें। इस प्रकार पूजन करने से हनुमान जी अति प्रसन्न होते हैं तथा साधक की हर मनोकामना को भी पूरी करते हैं।

श्री रानीसती चालीसा (Sri Rani Sati Chalisa)

श्री गुरु पद पंकज नमन, दुषित भाव सुधार I
राणी सती सू विमल यश, बरणौ मति अनुसार II

यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ (Yahan Wahan Jahan Tahan)

यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ,
मत पूछो कहाँ-कहाँ,

सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हें (Sabse Pahle Gajanan Manaya Tumhe)

सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हे,
तेरा सुमिरण करे आज आ जाइये,

मिशरी से मिठो नाम(Mishri Se Mitho Naam)

मिशरी से मिठो नाम,
हमारी राधा रानी को,

यह भी जाने