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गोकुल और वृंदावन समेत पूरे ब्रजमंडल की धरती कितनी पावन होगी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने उसे अपनी जन्मभूमि और कर्मभूमि बनाया। इस धरती पर भगवान ने बाल लीलाएं की, जिनके बारे में हम सनातनी आज भी सुनते-सुनाते हैं। इन कथाओं से हम भावविभोर हो जाते है।
भक्त वत्सल की जन्माष्टमी स्पेशल सीरीज ‘श्रीकृष्ण लीला’ के चौथे एपिसोड में आज हम आपको श्रीकृष्ण और कालिया नाग से युद्ध की कहानी बताएंगे…
कृष्ण गोकुल में हर रोज कुछ-कुछ नया धमाल करते रहते थे। इसी क्रम में वे एक बार अपने बाल सखाओं के साथ यमुना नदी के तट पर खेल रहे थे। तभी किसी साथी ने गेंद को मारा तो वह नदी में जा पहुंची। गेंद नदी में जाने से ग्वाल बाल उदास हो गए और खेल बंद हो गया। तभी भगवान कृष्ण यमुना के कूद कर गेंद निकालने की बात कहते है। इस पर सभी दोस्त उन्हें रोकते है कि एक गेंद के लिए तुम इतना बड़ा जोखिम मत उठाओ कान्हा। तो कन्हैया अपने दोस्तों से पूछते है कि कैसा जोखिम? तुम किस खतरे की बात कर रहे हो?
तब श्रीकृष्ण के परम मित्र मनसुखा उन्हें बताया कि यमुना की गहराइयों में कालिया नाग रहता है। उसी के कारण सभी यमुना में कूदने से डरते हैं। वो बड़ा भयानक है और यमुना में प्रवेश करने वाले किसी भी जीव को जीवित नहीं छोड़ता है। मनसुखा की बात सुनकर कान्हा ने यमुना में कूदने का अपना इरादा और पक्का कर लिया। सभी ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन उन्होंने किसी की एक नहीं सुनी और यमुना में छलांग लगा दी। यह देखकर सब डर गए। देखते ही देखते यह खबर सारे गोकुल में फैल गई कि कान्हा ने कालिया देह में छलांग लगा दी है।
यह सूचना नन्द बाबा और मां यशोदा को भी मिली। सारे गांव वाले नदी तट पर इकठ्ठा हो गए। इनमें नन्द जी, मां यशोदा और बलराम जी भी थे। बहुत देर हो चुकी थी लेकिन कान्हा का कोई पता नहीं था। यशोदा मां के आंसू नहीं रुक रहे थे और बाकि सभी लोग भी चिंतित थे। उधर कान्हा अपनी माया से यमुना के तल पर आराम कर रहे कालिया नाग के सामने पहुंच गए थे। कान्हा को अपनी देह यानी अपने क्षेत्र में देखकर कालिया नाग को बहुत क्रोध आया। उसने कृष्ण को वहां से चले जाने के लिए कहा, लेकिन आज भगवान यहां से जाने के लिए नहीं कालिया को यमुना से भगाने के लिए आए थे। भगवान और कालिया के बीच वाद विवाद हुआ जो एक भीषण युद्ध में बदल गया।
कालिया अपनी फनों से जहर उगलने लगा और कान्हा को मारने की कोशिश करने लगा। लेकिन उसकी हर कोशिश नाकामयाब रही। लड़ते-लड़ते दोनों यमुना के तल से नदी के ऊपर तक आ गए। अब उनकी लड़ाई गोकुल के सभी लोग नदी तट पर देख रहे थे। बहुत देर हो चुकी थी। अंत में कालिया का विष समाप्त हो गया। उसकी सभी फनों से खून निकलने लगा और उसने केशव के आगे हार मान ली। तभी भगवान ने उसकी फन पर सुंदर नृत्य शुरू कर दिया, जिसे देख देवता भी प्रसन्न हो गए।
इसके बाद कान्हा ने कालिया को दिव्य दर्शन देकर अपनी असलियत बताई और यमुना छोड़ कर चले जाने को कहा। भगवान की बात मान कर कालिया ने यमुना छोड़ दी। यमुनाजी के रास्ते कालिया समुद्र के मध्य रमणक द्वीप पर जाकर रहने लगा। इस तरह भगवान ने गोकुल को एक और खतरे से मुक्ति दिलवाई। कालिया नाग के पुनर्जन्म और उसके यमुना में छुपने के कारण की कथा भक्त वत्सल पर अवश्य पढ़ें।
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