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आषाढ़ मास की नवरात्रि में एक ऐसी देवी की पूजा का विधान है जिनके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। जी हां धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रों में विशेष रुप से इनका पूजन किया जाता है। हम यहां आपको बताने जा रहे हैं जल देवी के बारे में। बहुत से लोग नहीं जानते कि इन्हें माता दुर्गा का ही एक रुप माना जाता है जिसके चलते द्श के कई राज्यों में इनकी आराधना भी की जाती है। इतना ही नहीं कई जगहों पर तो जल देवी को समर्पित मंदिर भी है। मध्यप्रदेश में भी जल देवी की पूजा होती है।
जल देव का मंदिर राजस्थान के राजसमंद के दरीबा में स्थित सांसेरा गांव में हैं। बताया जाता है कि राजस्थान के ही टोहारायसिंह से 9 कि.मी की दूरी पर टोडो झिराना रोड के ग्राम बावड़ी में जल देवी दुर्गा नामक मंदिर स्थित है जो बहुत प्रसिद्ध है। यहां पर नवरात्रों में मेला लगता है। जलदेवी दुर्गा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। कहते हैं कि करीब 125 साल पहले यहां पर अकाल पड़ा था और देवी प्रकोप के चलते महामारी भी फैल गई थी, जिसकी वजह से कई लोग मर गए थे जब इसी गांव के उमा सागर जलाशय पर एक महात्मा समाध्सित होकर देवी की प्रार्थना में लग गए थे। उनकी प्रार्थना सुनकर खुश होकर भगवती दुर्गा ने साक्षात स्वरुप का अर्द्ध-रात्रि में उसे दर्शन दिया।
उन महात्मा को दर्शन देकर देवी ने बताया कि उनकी मूर्ति इस गांव के दक्षिण की तरफ मौजूद कुएं में कई सालों से जलमग्न हैं जो कि जलाशय के पास है। इस गांव की जो दुर्दशा हो रही है वह उस मूर्ति की दुर्दशा की वजह से हैं इसीलिए उसे जल ने निकालकर स्थापित करों। ये वाणी सुनकर उस महात्मा ने तत्कालीन जागीरदार के सहयोग से भगवती देवी की मूर्ति को जलाशय से निकाला एवं विधिपूर्वक यज्ञ करवाकर चबूतरे पर स्थापित किया। बाद में यहां पर मंदिर का निर्माण किया गया।
जानकारी के बता दें कि, इस मंदिर में पुराने काल के चांदी के सिक्के भी जड़े हुए हैं। यहां एक अक्षय दीपक भी स्थापित किया गया, दो निर्विघ्न एवं अनवरत रहता हैषृ। देवी के दर्शन करने के लिए यहां पर दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं और मन्नत मांगते हैं। यहां हर समय माता के भजन और कीर्तन चलते रहते हैं। यहां सभी नवरात्रि में माता की धूमधाम से पूजा होती है।
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