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भक्त वत्सल की नवरात्रि विशेषांक श्रृंखला के अब तक के लेखों के माध्यम से हमने आपको मैय्या रानी से संबंधित अनेक जानकारियां शास्त्रानुसार तथ्य और सत्य के साथ देने का प्रयास किया है। इसके चलते आदिशक्ति मां जगदम्बा की आराधना के दिन नवरात्रि को लेकर आप, हम और सभी माता भक्त यह जानते हैं कि मैय्या इन नौ दिनों में नौ अलग अलग स्वरूपों में हमें दर्शन देती है। मैय्या के हर दिन के नाम अलग हैं और मां के रूप भी अलग-अलग ही हैं। यहां तक की मैय्या को लगाए जाने वाले हर दिन के उनके प्रिय भोग या प्रसाद भी भिन्न-भिन्न हैं। इसी क्रम में भक्त वत्सल के नवरात्रि विशेषांक के इस लेख में हम आपको बताते हैं कि मैय्या के इन नौ रूपों के अस्त्र शस्त्र और सवारी और आसन भी एक दूसरे से अलग है। तो चलिए शुरू करते हैं इस यात्रा को…..
मां का प्रथम स्वरूप शैलपुत्री है, मां इस रूप में वृषभ यानी बैल की सवारी करती हैं। मैय्या ने इस रूप में अपने दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल-पुष्प धारण किया है।
पर्वतराज हिमालय और मैना की पुत्री मां ब्रह्मचारिणी परम तपस्विनी रूप में अपने दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल लिए हुए कमल पर विराजमान हैं।
माता चंद्रघंटा के तीन नैत्र और दस हाथ हैं। मैय्या इन दस भुजाओं में खड्ग, खप्पर, गदा, तलवार, चक्र, धनुष-बाण आदि शस्त्र धारण किए हुए हैं। माता इस रूप में सिंह पर सवार युद्ध मुद्रा में है।
अष्टभुजा वाली मां कूष्माण्डा अपने हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृत कलश, चक्र तथा गदा और जप की माला धारण किए शेर पर सवार है।
चार भुजाओं वाली स्कन्द माता कमल पुष्प, वरमुद्रा और चक्र त्रिशूल हाथों में लिए शुभ्र वर्ण में कमल के आसन पर विराजमान हैं। पद्मासना देवी के नाम से विख्यात मां इस रूप में सिंह पर सवार हैं।
लाल चुनरिया वाली कात्यायनी मैय्या की चार भुजाएँ हैं। मां इस रूप में दाहिनी तरफ ऊपर वाले हाथ से भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए अभयमुद्रा में है। वहीं मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है। मैय्या ने नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प धारण किया हुआ है और मैय्या सिंह की सवारी पर विराजमान हैं।
एकदम काले वर्ण वाली मैय्या कालरात्रि का रौद्र रूप गुस्से से लाल तीन नेत्र से और भी अधिक भयानक दिखाई देता है। माँ की नासिका के हर श्वास के साथ भयंकर अग्नि ज्वालाएँ मैय्या का प्रथम अस्त्र कही जा सकती है। मैय्या इस रूप में गर्दभ यानी गधे पर विराजमान है। दाहिने हाथ से मैय्या वरमुद्रा में सभी को वर दे रही हैं। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग लिए मैय्या भयंकर क्रोध में दुष्टों का संहार करने को तैयार हैं।
मां का सबसे सुंदर और गौर वर्ण स्वरूप है महागौरी का। श्वेत वर्णीय, श्वेतवसनी महागौरी मैय्या की 4 भुजाएं हैं और वो वृषभ यानी बैल पर सवार है। वृषारूढ़ा मां के चार हाथ हैं। मां का दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है। नीचे वाला हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बांए हाथ में डमरू और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में हैं।
माँ के नवम रूप सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं। कमलपुष्प पर बैठी मां सिद्धिदात्री अपने हाथों में कमलपुष्प, सुदर्शन चक्र, शंख, गदा धारण किए हुए लाल साड़ी में सुशोभित हैं। मैय्या के इस स्वरूप का वाहन शेर है।
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