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नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो ।
नगर मे जोगी आया, भेद कोई समझ ना पाया।
नफरत की दुनिया में, हो गया जीना अब दुश्वार,
नाचे नन्दलाल, नचावे हरि की मईआ ॥
नाम तेरा दुर्गे मैया हो गया, दुर्गुणों का नाश करते करते ॥
नाम मेरी राधा रानी का जिस जिस ने गाया है, बांके बिहारी ने उसे अपना बनाया है,
नाम लेगा जो बजरंगबली का, कष्ट जीवन के सारे कटेंगे ॥
नाम है तेरा तारण हारा, कब तेरा दर्शन होगा,
नाम है तेरा कृष्ण कन्हैया, नाथद्वारा सन्मुख होगा,
ना मन हूँ, ना बुद्धि, ना चित अहंकार ना जिव्या नयन नासिका करण द्वार