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नाम लेगा जो बजरंगबली का(Naam Lega Jo Bajrangbali Ka)

नाम लेगा जो बजरंगबली का,

कष्ट जीवन के सारे कटेंगे ॥


नाम हनुमान का जो भजेगा,

उसका दुनिया में डंका बजेगा,

नाम के इनकी फेरे रोज माला,

उसके दुख दर्द सारे मिटेंगे,

नाम लेगा जों बजरंगबली का,

कष्ट जीवन के सारे कटेंगे ॥


है हनुमान धन धान्य दाता,

जोड़ लो इनकी भक्ति से नाता,

बन गया जो भी इनका दीवाना,

उसको हर पल सहारे मिलेंगे,

नाम लेगा जों बजरंगबली का,

कष्ट जीवन के सारे कटेंगे ॥


जब हनुमान करते है मंगल,

फिर ना होता कभी भी अमंगल,

पड़ लो हनुमान जी की चालीसा,

गम के बादल तुम्हारे छटेंगे,

नाम लेगा जों बजरंगबली का,

कष्ट जीवन के सारे कटेंगे ॥


नाम लेगा जो बजरंगबली का,

कष्ट जीवन के सारे कटेंगे ॥

ल्याया थारी चुनड़ी, करियो माँ स्वीकार(Lyaya Thari Chunri Karlyo Maa Swikar)

ल्याया थारी चुनड़ी,
करियो माँ स्वीकार,

वराह जयंती (Varaha Jayanti)

जब हिरण्याक्ष का वध करने ब्रह्मदेव की नाक से निकले भगवान वराह, जानिए क्यों मनाई जाती है वराह जयंती

कब है रुक्मिणी अष्टमी?

हिंदू धर्म में पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी को समर्पित है, जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, रुक्मिणी अष्टमी पर ही द्वापर युग में विदर्भ के महाराज भीष्मक के यहां देवी रुक्मिणी जन्मी थीं।

गुरू प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। हर महीने दो प्रदोष व्रत और पूरे साल में 24 व्रत होते हैं।

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