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ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की, बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ।
ना जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं ।
ना जाने आज क्यों फिर से, तुम्हारी याद आई है ॥
न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ । कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥
मुश्किल करे आसान जो, वो नाम तो हनुमान है,
मूषक सवारी लेके, आना गणराजा,
मुरली वाले ने घेर लयी अकेली पनिया गयी ॥
मुरली बजा के मोहना, क्यों कर लिया किनारा। अपनों से हाय कैसा, व्यवहार है तुम्हारा॥
मुझे चरणों से लगाले, मेरे श्याम मुरली वाले ।
मुझे अपनी शरण में ले लो राम, ले लो राम! लोचन मन में जगह न हो तो