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ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की (Na Jee Bhar Ke Dekha Naa Kuch Baat Ki)

ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ।

करो दृष्टि अब तो प्रभु करुना की,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥


गए जब से मथुरा वो मोहन मुरारी,

सभी गोपिया बृज में व्याकुल थी भारी ।

कहा दिन बिताया, कहाँ रात की,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥


चले आयो अब तो ओ प्यारे कन्हिया,

यह सूनी है कुंजन और व्याकुल है गैया ।

सूना दो अब तो इन्हें धुन मुरली की,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥


हम बैठे हैं गम उनका दिल में ही पाले,

भला ऐसे में खुद को कैसे संभाले ।

ना उनकी सुनी ना कुछ अपनी कही,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥


तेरा मुस्कुराना भला कैसे भूलें,

वो कदमन की छैया, वो सावन के झूले ।

ना कोयल की कू कू, ना पपीहा की पी,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥


तमन्ना यही थी की आएंगे मोहन,

मैं चरणों में वारुंगी तन मन यह जीवन ॥

हाय मेरा यह कैसा बिगड़ा नसीब,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥

हे भोले शंकर पधारो (Hey Bhole Shankar Padharo)

हे भोले शंकर पधारो हे भोले शम्भू पधारो
बैठे छिप के कहाँ जटा धारी पधारो

बुहा खोल के माये, जरा तक ते ले (Buha Khol Ke Maaye Zara Tak Te Le)

बुहा खोल के माये,
जरा तक ते ले,

होलाष्टक के यम-नियम क्या हैं

हिंदू पंचांग के अनुसार होलाष्टक होली से पहले आठ दिनों की एक विशेष अवधि है, जो फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक चलती है। इस अवधि के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है।

होलाष्टक में करें इन देवी-देवताओं की पूजा

होलाष्टक का समय फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से पूर्णिमा (होलिका दहन) तक रहता है। यह अवधि अशुभ मानी जाती है, इसलिए विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते।