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ओ मुरख बन्दे, क्या है रे जग मे तेरा,
मुकुट सिर मोर का, मेरे चित चोर का ।
मुखड़ा देख ले प्राणी, जरा दर्पण में हो,
अखंड-मंडलाकारं व्याप्तम येन चराचरम
मोहे होरी में कर गयो तंग ये रसिया माने ना मेरी, माने ना मेरी माने ना मेरी,
मोहन से दिल क्यूँ लगाया है, ये मैं जानू या वो जाने,
मीठे रस से भरीयो री, राधा रानी लागे।
मिशरी से मिठो नाम, हमारी राधा रानी को,
मिश्री से भी मीठा नाम तेरा, तेरा जी मैया,
मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान् तुम्हारे चरणों में । यह विनती है पल पल छिन की, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में ॥