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अन्वाधान कब है

फरवरी में कब है अन्वाधान? जानें तिथि, मुहूर्त और महत्व


फरवरी माह में प्रकृति में भी बदलाव आता है, मौसम में ठंडक कम होने लगती है। पेड़ों पर कोमल पत्ते आने लगते हैं। इस साल फरवरी में गुरु मार्गी होंगे और सूर्य, बुध भी राशि परिवर्तन करेंगा। इसलिए यह महीना बहुत खास रहने वाला है। इसी महीने अन्वाधान व्रत भी है। यह भारतीय वैदिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह अनुष्ठान धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। अन्वाधान का गहरा संबंध कृषि चक्र से है। तो आइए, इस आर्टिकल में फरवरी में होने वाले अन्वाधान की तिथि, मुहूर्त और महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

कब मनाया जाएगा अन्वाधान?


साल 2025 में अन्वाधान व्रत 27 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। इसी दिन दर्श अमावस्या या फाल्गुन अमावस्या भी होती है। इस महीने के अन्य प्रमुख व्रत-त्योहारों में 25 फरवरी को प्रदोष व्रत, 26 फरवरी को महाशिवरात्रि, 28 फरवरी को इष्टि जैसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान शामिल हैं। व्रत और त्योहारों के लिहाज से फरवरी का महीना बेहद खास है।

अन्वाधान क्या है?


अन्वाधान एक प्राचीन वैदिक अनुष्ठान है जिसका मुख्य उद्देश्य यज्ञ की अग्नि को पुनः प्रज्वलित करना और उसे बनाए रखना है। यह शब्द संस्कृत के "अनु" (बाद में) और "आधान" (रखना या भेंट देना) से मिलकर बना है। इसका अर्थ है पुनः आहुति देना। इस दिन अग्निहोत्र या हवन में अनाज और अन्य सामग्री की आहुति देकर अग्नि देवता और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जाती है।

अन्वाधान का धार्मिक महत्व


अन्वाधान मुख्य रूप से वैष्णव संप्रदाय के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है। वैष्णव धर्म में भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनकर्ता माना जाता है। अन्वाधान के दौरान भगवान विष्णु की पूजा कर समृद्धि, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति की प्रार्थना की जाती है। अन्वाधान केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है। यह कृषि चक्र और प्राकृतिक संतुलन से भी जुड़ा है। यज्ञ में अनाज की आहुति अन्न की समृद्धि और भविष्य में अच्छी फसल की कामना का प्रतीक है।

अन्वाधान व्रत और पूजा विधि


  • अन्वाधान के दिन भक्त सूर्योदय से चंद्रमा के दर्शन तक उपवास रखते हैं।
  • उपवास का समापन हवन और विष्णु पूजा के बाद किया जाता है।
  • इस दिन यज्ञ की अग्नि को पुनः प्रज्वलित कर उसमें अनाज, तिल, घी और अन्य पवित्र सामग्री की आहुति दी जाती है।
  • भक्त भगवान विष्णु से सुख-समृद्धि और इच्छाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।

कृषि और अन्वाधान का संबंध


अन्वाधान का गहरा संबंध कृषि चक्र से है। यज्ञ में अनाज और अन्य प्राकृतिक उत्पादों की आहुति फसल की समृद्धि और कृषि उपज के प्रति आभार प्रकट करने का प्रतीक है। इस अनुष्ठान के माध्यम से मानव और प्रकृति के बीच संतुलन को दर्शाया गया है।

सोमवार की पूजा विधि

हिंदू धर्म में सोमवार का दिन विशेष महत्व रखता है। इसे "सोमवार" या "सप्तमी" के नाम से जाना जाता है, और यह विशेष रूप से भगवान शिव और चंद्रमा यानी कि सोम से जुड़ा हुआ है।

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