नवीनतम लेख

मार्च में मासिक कार्तिगाई कब मनाई जाएगी

Masik Karthigai 2025: फाल्गुन मास में कब मनाई जाएगी मासिक कार्तिगाई, दक्षिण भारत का प्रमुख त्योहार; इन भगवानों की होती है पूजा 



मासिक कार्तिगाई दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है, जो भगवान मुरुगन को समर्पित होता है। यह त्योहार हर महीने कृतिका नक्षत्र के प्रबल होने वाले दिन मनाया जाता है। इसे कार्तिकगाई दीपम के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव और भगवान मुरुगन की पूजा की जाती है। लोग अपने घरों में दीपक जलाते हैं। वैसे तो यह त्योहार प्रत्येक माह में पड़ता है। लेकिन इसका प्रमुख दिन कार्तिक मास में आता है। इस समय सूर्य ग्रह वृश्चिक राशि में स्थित होता है। आइए लेख के जरिए जानते हैं कि यह त्योहार मार्च में कब मनाया जाएगा, कैसे मनाया जाएगा और इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।


कब मनाया जाएगा त्योहार?



मार्च 2025 में मासिक कार्तिगाई 5 मार्च को मनाई जाएगी। इस दिन कार्तिगाई नक्षत्र का प्रभाव रहेगा, जो इसे शुभ बनाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की कृपा पाने के लिए श्री सुब्रह्मण्य कवच स्तोत्र का पाठ किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।


ऐसे करें भगवान शिव और भगवान मुरुगन की पूजा



  • मासिक कार्तिगाई के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान शिव और भगवान मुरुगन की तस्वीर पूजा स्थल पर उत्तर-पूर्व दिशा की ओर रखें।
  • इसके बाद भगवान शिव पर जल, दूध, बेलपत्र और धूप-दीप अर्पित करें। वहीं भगवान मुरुगन को विशेष रूप से पुष्प, फल और पंचामृत अर्पित करें।
  • भगवान शिव और भगवान मुरुगन के मंत्रों का जाप करें।
  • अंत में भगवान शिव और मुरुगन की आरती करें और सभी में प्रसाद वितरित करें।

इस दिन घर में धूप और कपूर जलाएं। इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी। वहीं इस दिन दान करना आपके लिए लाभकारी साबित होगा।


मासिक कार्तिगाई से जुड़ी कथा



पौराणिक कथा के अनुसार भगवान मुरुगन का जन्म इसी दिन भगवान शिव की तीसरी आँख से हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि भगवान छह अलग-अलग भागों में अस्तित्व में आए और उनका पालन-पोषण छह अप्सराओं ने किया। आखिरकार, देवी पार्वती ने सभी छह संस्थाओं को मिलाकर एक छोटे लड़के का रूप दिया। इसलिए, भगवान मुरुगन को शनमुघम के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है छह मुख वाला।


हर महीने में कब पड़ता है मासिक कार्तिगाई ?



मासिक कार्तिगाई हर महीने तब पड़ता है जब कार्तिगाई नक्षत्र आता है। यह तिथि पंचांग के अनुसार बदलती रहती है, लेकिन यह पूर्णिमा के आसपास होती है। प्रत्येक माह के अलग-अलग दिन यह नक्षत्र पड़ता है, इसलिए पंचांग देखकर सही तिथि का पता लगाया जाता है।


कैसे मनाई जाती है मासिक कार्तिगाई ?



  • इस दिन घर, मंदिर और विशेष रूप से शिव मंदिरों में दीप जलाए जाते हैं।
  • तमिलनाडु के प्रसिद्ध मंदिरों जैसे पलानी मंदिर, स्वामिमलाई और थिरुचेंदूर में बड़े स्तर पर पूजन होता है।
  • इस दिन विशेष रूप से प्रसाद में पायसम, अप्पम और केले से बने व्यंजन बनाए जाते हैं।
  • कई जगहों पर धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

श्रीदेव्यथर्वशीर्षम् (Sri Devi Atharvashirsha)

देव्यथर्वशीर्षम् जिसे देवी अथर्वशीर्ष के नाम से भी जाना जाता है, चण्डी पाठ से पहले पाठ किए जाने वाले छह महत्वपूर्ण स्तोत्र का हिस्सा है।

डमक डम डमरू रे बाजे (Damak Dam Damroo Re Baje)

डमक डम डमरू रे बाजे,
चन्द्रमा मस्तक पर साजे,

श्री शाकम्भरी चालीसा (Shri Shakambhari Chalisa)

बन्दउ माँ शाकम्भरी, चरणगुरू का धरकर ध्यान ।
शाकम्भरी माँ चालीसा का, करे प्रख्यान ॥