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झोली भर लो भक्तो, दौलत बरसे भोले के दरबार (Jholi Bharlo Bhakto Daulat Barse Bhole Ke Darbar)

झोली भर लो भक्तो,

दौलत बरसे भोले के दरबार,

झोली भर ल्यो जी,

दातारि का क्या कहना है,

दातारि का क्या कहना,

सरकारों की सरकार,

झोली भर ल्यो जी,

झोली भर लो भक्तों,

दौलत बरसे भोले के दरबार,

झोली भर ल्यो जी ॥


रंग रंगीला महीना देखो,

सावन भोले बाबा का,

जैसे सावन बरसे वैसे,

बरसा दे भंडार,

झोली भर ल्यो जी,

झोली भर लो भक्तों,

दौलत बरसे भोले के दरबार,

झोली भर ल्यो जी ॥


देते देते ये ना हारे,

तू लेते थक जाएगा,

भर भर मुट्ठी खूब लुटाए,

ऐसा है दातार,

झोली भर ल्यो जी,

झोली भर लो भक्तों,

दौलत बरसे भोले के दरबार,

झोली भर ल्यो जी ॥


‘बनवारी’ शिव के भक्तो का,

देखा ठाठ निराला जी,

बारह महीना मने दिवाली,

मौज करे परिवार,

झोली भर ल्यो जी,

झोली भर लो भक्तों,

दौलत बरसे भोले के दरबार,

झोली भर ल्यो जी ॥


झोली भर लो भक्तो,

दौलत बरसे भोले के दरबार,

झोली भर ल्यो जी,

दातारि का क्या कहना है,

दातारि का क्या कहना,

सरकारों की सरकार,

झोली भर ल्यो जी,

झोली भर लो भक्तों,

दौलत बरसे भोले के दरबार,

झोली भर ल्यो जी ॥

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रुक्मिणी अष्टमी की कथा

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