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क्यों मनाई जाती है गणाधिप संकष्टी चतुर्थी, जानें इस दिन का महत्व

हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है, लेकिन मार्गशीर्ष मास की चतुर्थी तिथि को विशेष रूप से गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा और व्रत किया जाता है, जिससे जीवन के संकट दूर होते हैं और गणपति बप्पा की कृपा बनी रहती है। गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सारे बिगड़े काम बनते हैं, विघ्नों का नाश होता है। 


यह तिथि भगवान गणेश की पूजा करने और उनकी कृपा पाने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। ऐसे में मन में जरूर आता है कि गणाधिप संकष्टी चतुर्थी क्यों मनाई जाती है, और इसका क्या महत्व है। आइये इन सवालों के जवाब इस लेख के माध्यम से आपको बताते हैं। 


गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त  


  • गणाधिप संकष्टी चतुर्थी तिथि का शुरूआत 18 नवम्बर की शाम 06:55 बजे से होगी जो 19 नवंबर शाम को 05:28 बजे तक रहेगी। 
  • गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत : सोमवार, नवम्बर 18, 2024
  • संकष्टी चन्द्रोदय समय - शाम 07:34, 18 नवंबर 
  • गणेश जी की पूजा के लिए 18 नवंबर शाम 5 बजकर 26 मिनट से 5 बजकर 53 मिनट तक का मुहूर्त शुभ रहेगा। 
  • ब्रह्म मुहूर्त – 18 नवंबर सुबह 5 बजे से 5 बजकर 53 मिनट तक।
  • विजय मुहूर्त – दोपहर 1 बजकर 53 मिनट से 2 बजकर 35 मिनट तक।
  • गोधूलि मुहूर्त – शाम 5 बजकर 26 मिनट से 5 बजकर 53 मिनट तक।


गणाधिप संकष्टी चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?


1. भगवान गणेश की पूजा: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की पूजा का विशेष दिन है, जो ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के देवता हैं।

2. संकटों का नाश: इस दिन की पूजा और व्रत से जीवन के संकटों का नाश होता है और व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

3. विघ्नों का निवारण: भगवान गणेश को विघ्नों का निवारणकर्ता माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा से विघ्नों का नाश होता है।

4. समृद्धि और सुख: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी की पूजा से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और सुख का वास होता है।

5. पापों का नाश: इस दिन की पूजा से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और वह पवित्र और शुद्ध होता है।


गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का महत्व 


गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर श्रद्धालु भगवान गणेश की भक्ति-भाव से पूजा और व्रत करते हैं, जिससे जीवन की समस्त समस्याएं और संकट दूर होते हैं। इस दिन का महत्व इस प्रकार है:


  • हर संकष्टी चतुर्थी का अपना एक अलग नाम, कथा और पीठ होता है।
  • भगवान गणेश की उपासना करने से जीवन की सभी समस्याएं और संकट दूर होते हैं।
  • सच्चे मन से व्रत रखने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के सारे कष्ट मिट जाते हैं।
  • विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखती हैं।
  • इस दिन की पूजा और व्रत से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

वार्षिक श्राद्ध पूजा विधि

हिंदू धर्म में श्राद्ध पूजा का विशेष महत्व है। यह पितरों यानी पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक प्रमुख अनुष्ठान है। जो सदियों से हिंदू संस्कृति में करा जाता है। श्राद्ध संस्कार में पिंडदान, और ब्राह्मण भोजन कराया जाता है।

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