नवीनतम लेख

भगवान शिव के वाहन नंदी की पूजा कैसे करें?

इस विधि से करें भगवान शिव के प्रिय वाहन नंदी की पूजा, भोलेनाथ शीघ्र होंगे प्रसन्न


हिंदू धर्म में जब भी भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं, तो उनके वाहन नंदी की भी विशेष रूप से की जाती है। नंदी को कैलाश का द्वारपाल कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर आपकी कोई मनोकामना हैं और चाहते हैं कि शीघ्र मनोकमानाएं पूरी हो, तो नंदी के कानों में अपनी इच्छा बोलें। कहते हैं कि नंदी के जरीए भगवान शिव अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नंदी को ऋषि शिलाद का पुत्र भी माना जाता है। उन्होंने अमरत्व और भगवान शिव के आशीर्वाद से एक संतान का वरदान पाने के लिए कठोर तपस्या की और नंदी को अपने पुत्र के रूप में प्राप्त किया था। नंदी ने शिव जी की भक्ति में जीवन भर लगा दिया था। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें अपना वाहन बना लिया। नंदी को धर्म के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। इसलिए संसद में स्थापित धर्मदंड सेंगोल के शीर्ष पर नंदी विराजमान हैं। शिव मंदिरों में भगवान शिव की मूर्ति के सामने या शिव मंदिर के बाहर नंदी की मूर्ति स्थापित होती है। अब ऐसे में नंदी की पूजा का भी महत्व है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 


भगवान शिव के वाहन नंदी की पूजा के लिए सामग्री 


  • नंदी की मूर्ति
  • धूप
  • दीपक
  • फूल
  • फल
  • अक्षत
  • रोली या कुमकुम
  • जल
  • नैवेद्य


वाहन नंदी की पूजा किस विधि से करें? 


  • नंदी की पूजा करने से शिव जी की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • नंदी की पूजा करने से पहले शिवलिंग की पूजा करना आवश्यक है। शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं, फूल, बेलपत्र, धूप, दीप चढ़ाएं और अभिषेक करें।
  • नंदी की प्रतिमा को साफ पानी से धोकर पवित्र करें।
  • नंदी की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं।
  • नंदी की आरती करें।
  • नंदी के बाएं कान में धीरे से अपनी मनोकामना बोलें। ध्यान रहे कि आपकी मनोकामना कोई न सुन पाएं। 
  • नंदी को फूल, फल, मिठाई या दूध का भोग लगाएं।
  • नंदी मंत्र का जाप करें। 
  • ॐ तत्पुरुषाय विद्महे चक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो नन्दिः प्रचोदयात्।
  • ॐ शिववाहनाय विद्महे तुण्डाय धीमहि, तन्नो नन्दी: प्रचोदयात!
  • आप किसी भी शुभ दिन नंदी पूजा कर सकते हैं। सोमवार का दिन शिव जी को समर्पित होता है, इसलिए सोमवार को नंदी पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
  • नंदी पूजा के बाद आप शिव चालीसा या शिव स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। 


नंदी की पूजा करने के लाभ


नंदी की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। शिवजी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। नंदी के कान में अपनी मनोकामना बोलने से वह जल्द ही पूरी होने की मान्यता है। नंदी पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। नंदी की पूजा करने से मन में शांति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। नंदी पूजा करने से बुद्धि और बल में वृद्धि होती है। नंदी पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। नंदी की पूजा करने से व्यक्ति को सफलता की प्राप्ति होती है। 


भोलेनाथ मेरे मरने से पहले, ऐसी चिलम पिला देना (Bholenath Mere Marne Se Pahle Aisi Chilam Pila Dena)

भोलेनाथ मेरे मरने से पहले,
ऐसी चिलम पिला देना,

भगवान इंद्र की पूजा विधि

सनातन धर्म में इंद्रदेव को देवों के राजा और आकाश, वर्षा, बिजली और युद्ध के देवता के रूप में पूजा जाता है। इंद्रदेव के आशीर्वाद से पृथ्वी पर वर्षा होती है, जो कृषि और जीवन के लिए आवश्यक है।

जय बजरंगी बोले, वो कभी ना डोले (Jay Bajrangi Bole Vo Kabhi Na Dole)

बोले बोले रे जयकारा,
जो बाबा का बोले,

झण्डा ऊँचा रहे हमारा (Jhanda Uncha Rahe Hamara)

झण्डा ऊँचा रहे हमारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा