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मार्गशीर्ष कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि और भोग

आज मनाई जा रही है मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, यहां जानें सही पूजा विधि और भोग 


वैदिक पंचाग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह में कृष्ण जन्माष्टमी आज यानी 22 नवंबर 2024 को मनाई जा रही है। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने और जीवन के दुखों को दूर करने का श्रेष्ठ अवसर है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना और व्रत रखने से सुख, शांति और समृद्धि का वरदान मिलता है। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जो हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने और व्रत रखने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने से भक्तों को धन, सम्पन्नता, स्वास्थ्य, संतान और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाने और उनकी चालीसा का पाठ करने से उनकी कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। 


मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 


मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित पर्व है। यह हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन उपवास रखते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन पूजा करने से मनुष्य के सारे दुख-दर्द समाप्त हो जाते हैं और उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है।


मासिक जन्माष्टमी व्रत के फल


मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखने से साधक को भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से पांच मुख्य लाभ मिलते हैं।

  1. यश और कीर्ति: व्रत करने वाले व्यक्ति का समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
  2. धन-संपन्नता: व्रत करने से आर्थिक समृद्धि मिलती है।
  3. संतान सुख: भगवान की कृपा से योग्य संतान की प्राप्ति होती है।
  4. सुख और स्वास्थ्य: जीवन में सुख-शांति और आरोग्य प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।


मासिक जन्माष्टमी पूजा विधि और भोग


  1. सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
  2. भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को स्नान कराएं और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं।
  3. तुलसी, माखन, मिश्री और फल का भोग लगाएं।
  4. कृष्ण चालीसा और भगवत गीता का पाठ करें।
  5. रात्रि के समय भगवान कृष्ण की विशेष आरती करें।


ध्यान रखें ये बातें


मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने और जीवन के दुखों को दूर करने का श्रेष्ठ अवसर है। इस दिन विधि पूर्वक पूजा-अर्चना और व्रत रखने से सुख, शांति और समृद्धि का वरदान मिलता है। पूजा के दौरान मन को शुद्ध और शांत रखें और पूर्ण श्रद्धा से भगवान की उपासना करें। इस समय खुद को किसी भी तरह के नकारात्मकता से दूर रखें और मन को सत्संग में लगाएं। 


विश्वेश्वर व्रत कथा

सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही विश्वेश्वर व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र व्रत है। इस व्रत को शिव जी की कृपा प्राप्त करने के उद्देश्य से रखा जाता है।

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मासिक शिवरात्रि राशिफल

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