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आओ मेरी सखियो मुझे मेहँदी लगा दो (Aao Meri Sakhiyo Mujhe Mehandi Laga Do)

ऐसे वर को क्या वरु,

जो जनमे और मर जाये,

वरीये गिरिधर लाल को,

चुड़लो अमर हो जाये ॥


आओ मेरी सखियो मुझे मेहँदी लगा दो,

मेहँदी लगा दो, मुझे सुन्दर सजा दो,

मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ॥


सतसंग मे मेरी बात चलायी,

सतगुरु ने मेरी किनी सगाई,

उनको बोला के हथलेवा तो करा दो,

मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ॥


ऐसी पहनी चूड़ी जो कबहू ना टूटे,

ऐसा वरु दूल्हा जो कबहू ना छूटे,

अटल सुहाग की बिंदिया लगा दो,

मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ॥


भक्ति का सुरमा मैं आख मे लगाउंगी,

दुनिया से नाता तोड़ मैं उनकी हो जाउंगी,

सतगुरु को बुला के फेरे तो पडवा दो,

मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ॥


बाँध के घुंघरू मै उनको रीझाऊंगी,

ले के इकतारा मै श्याम-श्याम गाऊँगी,

सतगुरु को बुला के बिदा तो करा दो,

मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ॥


आओ मेरी सखियों मुझे मेहँदी लगा दो,

मेहँदी लगा दो, मुझे सुन्दर सजा दो,

मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ॥


कभी-कभी भगवान को भी भक्तो (Kabhi Kabhi Bhagwan Ko Bhi Bhakto Se Kam Pade)

प्रभु केवट की नाव चढ़े
कभी कभी भगवान को भी भक्तो से काम पड़े ।

राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा (Radha Dundh Rahi Kisine Mera Shyam Dekha)

राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा,
श्याम देखा, घनश्याम देखा,

स्कंद षष्ठी पर क्या भोग लगाएं

स्कंद षष्ठी का पर्व भगवान शिव के बड़े पुत्र, भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है।

रंग पंचमी कैसे मनाई जाती है

रंग पंचमी भारत का एक प्रमुख रंगीन त्योहार है, जो होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। इसे भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की होली से जोड़कर देखा जाता है।

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