नवीनतम लेख

शिव में मिलना हैं (Shiv Mein Milna Hai)

शिव में मिलना है ॥


दोहा – कितना रोकूं मन के शोर को,

ये कहा रुकता है,

की शोर से परे,

उस मौन से मिलना है,

मुझे शिव से भी नहीं,

शिव में मिलना हैं ॥


मुझे शिव से नहीं,

शिव में मिलना है,

अपने अहम की,

आहुति दे जलना है,

मुझे शिव से नहीं,

शिव में मिलना हैं ॥


क्यों मुझे किसी और के,

कष्टों का कारण बनना है,

चाँद जो शीश सुशोभित,

उस चाँद सा शीतल बनना है,

उस चाँद सा शीतल बनना है,

मुझे शिव से नहीं,

शिव में मिलना हैं ॥


जितना मैं भटका,

उतना मैला हो आया हूँ,

कुछ ने है छला मोहे,

कुछ को मैं छल आया हूँ,

कुछ को मैं छल आया हूँ,

मुझे शिव से नहीं,

शिव में मिलना हैं ॥


मुझे शिव से नहीं,

शिव में मिलना हैं,

अपने अहम की,

आहुति दे जलना है,

मुझे शिव से नहीं,

शिव में मिलना हैं ॥

सिद्ध-कुञ्जिका स्तोत्रम् (Siddha Kunjika Stotram)

सिद्ध-कुञ्जिका स्तोत्रम् श्रीरूद्रयामल के मन्त्र से सिद्ध है और इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं होती है। इस स्तोत्र को परम कल्याणकारी और चमत्कारी माना जाता है।

राम के नाम का झंडा लेहरा है (Ram Ke Nam Ka Jhanda Lehra Hai)

राम के नाम का झंडा लहरा है ये लहरे गा
ये त्रेता में फहरा है कलयुग में भी फहरे गा ।

पापमोचनी एकादशी कब है?

पापमोचनी एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह एकादशी फाल्गुन और चैत्र मास के संधिकाल में आती है और इसे साल की अंतिम एकादशी भी माना जाता है।

ऋषि पंचमी व्रत कथा (Rishi Panchami Vrat Katha)

श्री ऋषिपंचमी व्रत कथा (भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को किया जाने वाला व्रत) राजा सुताश्व ने कहा कि हे पितामह मुझे ऐसा व्रत बताइये जिससे समस्त पापों का नाश हो जाये।