नवीनतम लेख
नवीनतम लेख
हिंदू धर्म में आस्था और सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व चैती छठ को माना जाता है। छठ पूजा साल में दो बार कार्तिक और चैत्र माह में मनाई जाती है। कार्तिक छठ की तुलना में चैती छठ को कम लोग मनाते हैं, लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी उतना ही खास है। इसमें व्रती महिलाएं और पुरुष 36 घंटे का कठोर व्रत रखते हैं और डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठी मैया की पूजा करते हैं। वैसे तो यह पर्व पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन खासकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और बंगाल में इसे पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। छठ आस्था का पर्व है।
छठ महापर्व को लोक आस्था का पर्व कहा जाता है। मान्यता है कि सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने यह व्रत रखा था। छठी मैया को संतान सुख देने वाली देवी माना जाता है, इसलिए खासकर महिलाएं इस व्रत को पूरी निष्ठा के साथ रखती हैं। छठ पूजा सिर्फ व्रत नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है। इसे पूरी श्रद्धा और अनुशासन के साथ करने से भगवान सूर्य और छठी मैया का आशीर्वाद मिलता है।
खरना के दिन महिलाएं अपनी सुविधानुसार नदी, तालाब या नजदीकी जलाशय पर जाएंगी और स्नान के बाद भगवान सूर्य की पूजा करेंगी और अरबी चावल, लौकी की सब्जी और चने का शुद्ध शाकाहारी भोजन खाएंगी। इसके साथ ही व्रत का संकल्प लेंगी। खरना के दिन 2 अप्रैल से व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करेंगी। शाम को पीतल या मिट्टी के बर्तन में गुड़ की खीर और रोटी बनाकर पूजा की जाएगी। इसे परिवार के सदस्यों और आस-पड़ोस के लोगों में प्रसाद के रूप में बांटा जाएगा। इसके लिए नया चूल्हा इस्तेमाल किया जाता है। इस दिन सूर्य देव को भोग लगाने और अर्घ्य देने के बाद महिलाएं प्रसाद ग्रहण करती हैं। छठ पर्व के तीसरे दिन 3 अप्रैल को डूबते सूर्य को और 4 अप्रैल को उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद व्रती अपना व्रत खोलेंगे।
इस दिन व्रती पर्व का संकल्प लेते हैं। नहाय-खाय के दिन व्रती अरवा चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी बनाकर संकल्प लेंगे।
चैत्र छठ के दूसरे दिन खरना में शाम को विशेष प्रसाद खाया जाता है, जिसमें गुड़ और चावल की खीर का विशेष महत्व होता है।
इस दिन व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। यह पूजा विशेष रूप से सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए की जाती है।
इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का समापन होता है। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती पुरुष और महिलाएं अपना व्रत तोड़ेंगे।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल, तिरूअनंतपुरम (Shri Padmanabhaswamy Mandir, Kerala, Thiruvananthapuram)
श्रीसोमेश्वर स्वामी मंदिर(सोमनाथ मंदिर), गुजरात (Shri Someshwara Swamy Temple (Somnath Temple), Gujarat)
ॐकारेश्वर महादेव मंदिर, ओमकारेश्वर, मध्यप्रदेश (Omkareshwar Mahadev Temple, Omkareshwar, Madhya Pradesh)
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर - नेल्लोर, आंध्र प्रदेश (Sri Ranganadha swamI Temple - Nellore, Andhra Pradesh)
यागंती उमा महेश्वर मंदिर- आंध्र प्रदेश, कुरनूल (Yaganti Uma Maheshwara Temple- Andhra Pradesh, Kurnool)
श्री सोमेश्वर जनार्दन स्वामी मंदिर- आंध्र प्रदेश (Sri Someshwara Janardhana Swamy Temple- Andhra Pradesh)
Shri Sthaneshwar Mahadev Temple, Thanesar, Kurukshetra (स्थानेश्वर महादेव मंदिर, थानेसर, कुरुक्षेत्र)
अरुल्मिगु धनदायूंथापनी मंदिर, पलानी, तमिलनाडु (Arulmigu Dhandayunthapani Temple, Palani, Tamil Nadu)
गोमटेश्वर बाहुबली मंदिर, श्रवणबेलगोला, कर्नाटक (Gommateshwara Bahubali Temple, Shravanabelagola, Karnataka)
श्री श्री राधा गोपीनाथ मंदिर इस्कॉन चौपाटी मुंबई (Sri Sri Radha Gopinath Temple, ISKCON Chowpatty, Mumbai)
TH 75A, New Town Heights, Sector 86 Gurgaon, Haryana 122004
Our Services
Copyright © 2024 Bhakt Vatsal Media Pvt. Ltd. All Right Reserved. Design and Developed by Netking Technologies