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श्रीराम सनातन परंपरा के आराध्य हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का संपूर्ण जीवन हमारे लिए आदर्शों का वो उदाहरण है जिसका अनुसरण करते हैं। श्रीराम की तरह उनके तीनों भाई भी अपने आदर्शों के लिए जाने जाते हैं। वे भी विभिन्न अवतारों के रूप में पृथ्वी पर जन्मे थे। आज हम आपको भक्त वत्सल के इस लेख में भगवान के तीनों भाइयों के बारे में बताने जा रहे हैं।
अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियों को यज्ञ से उत्पन्न खीर के प्रताप से पुत्र प्राप्ति हुई। माता कौशल्या, माता सुमित्रा और माता केकैयी के चार पुत्र हुए। इनमें भगवान राम कौशल्या माता, लक्ष्मण जी सुमित्रा माता और भरत जी और शत्रुघ्न जी केकैयी माता के गर्भ से जन्में थे। श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार हैं।
“एक जनम में सौ जनम की रीतियां निभाई थी।
जिसने सूर्य के लिए भी छतरियां उठाईं थी।
सब कसौटियां लखन ने ही स्वयं बनाई थी।
जो लगी न राम को वो ठोकरें भी खाईं थी।”
राजा दशरथ के छोटे बेटे और भगवान राम के परम भक्त लक्ष्मण के चरित्र को परिभाषित करने के लिए शायद इससे सुंदर पंक्तियां ना हो। लखन स्वयं शेषनाग के अवतार थे। वनवास राम को हुआ़ था लेकिन अपने भाई की सेवा के लिए लक्ष्मण जी ने भी चौदह वर्ष वन में जाकर बिताए। क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर ही विश्राम करते हैं। राम विवाह के समय ही लक्ष्मण का विवाह राजा जनक की छोटी बेटी उर्मिला देवी से हुआ था, जो वरुणी देवी का अवतार थीं। शास्त्रों के अनुसार वरूणी शेषनाग की पत्नी हैं।
पुराणों में वर्णित है कि भगवान राम के छोटे भाई भरत जी भगवान विष्णु के चक्र सुदर्शन का अवतार थे। उन्होंने धर्म और प्रजा पालन के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण पेश करते हुए श्रीराम की आज्ञा का पालन किया। एक भाई के रूप में उन्होंने राम को वनवास छोड़ अयोध्या आने के लिए मिन्नतें की और चित्रकूट जाकर राम से अयोध्या लौटने की विनती की। लेकिन प्रभु राम नें भरत की बात नहीं मानी और पिता के वचन की रक्षा की। तब भरत राम की चरण पादुका लेकर अयोध्या आए। राम वनवास के दौरान भरत ने भी राजपाट का सुख छोड़कर नंदीग्राम में भगवान राम की प्रतीक्षा एक वनवासी के रूप में की। सुदर्शन चक्र के अवतार भरत ने बाद में श्रीराम के कहने पर रघुकुल का सिंहासन संभाला। उनका विवाह राजा जनक के भाई की पुत्री मांडवी देवी से हुआ था। वो रति देवी का अवतार थीं।
राजा दशरथ के छोटे बेटे शत्रुघ्न भी भगवान विष्णु के शंख का अवतार बताए गए हैं। भगवान राम के वनवास के दौरान शत्रुघ्न ने भरत की सेवा करते हुए धर्म पालन किया। राम जी के वनवास के दौरान उन्होंने भी राजपाट का सुख वैभव त्याग कर भरत के साथ नंदीग्राम वन में उनकी सेवा की। उनका विवाह श्रुतिकृति देवी से हुआ था जो उषा देवी का अवतार थी ।
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