रंग पंचमी की कथा

Rang Panchami Katha: होलिका दहन के 5 दिन बाद क्यों मनाई जाती है रंग पंचमी? जानें कथा और महत्व


रंग पंचमी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है और यह पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन देवी-देवता धरती पर आकर भक्तों के साथ होली खेलते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। इसलिए, इस दिन अबीर-गुलाल उड़ाकर देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। खासकर इंदौर में इस पर्व की भव्यता देखने लायक होती है।


रंग पंचमी की पौराणिक कथा


रंग पंचमी का सीधा संबंध होलिका दहन से है। माना जाता है कि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसके पांच दिन बाद रंग पंचमी पर रंगों का उत्सव मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन देवी-देवता धरती पर वायुरूप में आते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार, रंग पंचमी का पर्व तामसिक और राजसिक गुणों पर सत्वगुण की विजय को दर्शाता है। यह दिन आत्मिक शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। रंग पंचमी को श्री पंचमी या देव पंचमी भी कहा जाता है।


रंग पंचमी का महत्व और आध्यात्मिक दृष्टिकोण 


रंग पंचमी केवल एक रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि इसका आध्यात्मिक महत्व भी है। माना जाता है कि:

  • यह ब्रह्मांड के पांच तत्वों—हवा, आकाश, जल, पृथ्वी और अग्नि—को सक्रिय करता है।
  • इन तत्वों की सक्रियता मानव जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
  • रंग पंचमी आध्यात्मिक विकास और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देती है।
  • इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।


रंग पंचमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त


  • इस साल रंग पंचमी 19 मार्च 2025 को मनाई जाएगी।
  • चैत्र कृष्ण पंचमी तिथि प्रारंभ: 18 मार्च 2025, रात 10:09 बजे
  • चैत्र कृष्ण पंचमी तिथि समाप्त: 19 मार्च 2025, दोपहर 12:36 बजे

रंग पंचमी का यह पर्व केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और भक्ति का प्रतीक है। इसे पूरे हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।


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मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन मां भगवती की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

कंस वध मनाने की परंपरा (Kans Vadh Manane Ki Parampara)

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