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काजल टीको लगवा ले, लुन राइ करवा ले,
कैसी यह देर लगाई दुर्गे, हे मात मेरी हे मात मेरी। भव सागर में घिरा पड़ा हूँ, काम आदि गृह में घिरा पड़ा हूँ।
कैसी लीला रचाई जी, के हनुमत बालाजी,
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना, मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना॥
कैसे दर आऊं, मैं तेरे दरश पाने को,
कैसे भूलूंगा दादी मैं तेरा उपकार, ऋणी रहेगा तेरा,
कैलाश शिखर से उतर कर, मेरे घर आए है भोले शंकर ॥
कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ, आये शरण तिहारी प्रभु तार तार तू,
कई जन्मों से बुला रही हूँ, कोई तो रिश्ता जरूर होगा,
झूलन चलो हिंडोलना, वृषभान नंदनी, झूलन चलो हिडोलना, वृषभान नंदनी।