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केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके
कान्हा मेरी राखी का, तुझे कर्ज चुकाना है,
प्रभु श्रीसीतारामजी काटो कठिन कलेश कनक भवन के द्वार पे परयो दीन राजेश
मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी, ढूंढ रहा भगवान,
कलियुग में सिद्ध हो देव तुम्हीं, हनुमान तुम्हारा क्या कहना ।
कलयुग में शिवयुग आया है, महादेव ये तेरा रचाया है,
कलयुग में फिर से आजा, डमरू बजाने वाले,
कलयुग का देव निराला, मेरा श्याम है खाटू वाला,
काली कमली वाला मेरा यार है, मेरे मन का मोहन तु दिलदार है,
काली काली अलको के फंदे क्यूँ डाले, हमें जिन्दा रहने दे ऐ मुरली वाले ॥