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कैसे भूलूंगा दादी मैं तेरा उपकार (Kaise Bhulunga Dadi Main Tera Upkar)

कैसे भूलूंगा दादी मैं तेरा उपकार,

ऋणी रहेगा तेरा,

ऋणी रहेगा तेरा हरदम मेरा परिवार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार ॥


घूम रही आँखों के आगे,

बीते कल की तस्वीरें,

नाकामी और मायूसी,

साथी साथी थे मेरे,

दर दर भटक रहा था,

दर दर भटक रहा था,

मैं बेबस और लाचार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार ॥


कभी कभी तो सोचूं कैसे,

खेता टूटी नैया को,

अगर नहीं बनती तुम मैया,

आकर मेरी खिवैया तो,

डूब ही जाती मेरी,

माँ डूब ही जाती मेरी,

ये नैया तो मजधार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार ॥


बोझ तेरे अहसानो का,

‘सोनू’ पर इतना ज्यादा है,

कम करने की कोशिश में ये,

और भी बढ़ता जाता है,

माँ उतर ना पाए कर्जा,

कभी उतर ना पाए कर्जा,

चाहे लूँ जन्म हजार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार ॥


कैसे भूलूंगा दादी मैं तेरा उपकार,

ऋणी रहेगा तेरा,

ऋणी रहेगा तेरा हरदम मेरा परिवार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार ॥

कब सुधि लोगे मेरे राम (Kab Sudhi Loge Mere Ram)

कब सुधि लोगे मेरे राम,
मैं तो नैन बिछाई तेरी राह में,

आंवला नवमी व्रत कथा (Amla Navami Vrat Katha)

आंवला नवमी व्रत आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रखा जाता है। आंवला नवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक नामक दैत्य को मारा था और साथ ही आंवला नवमी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा भी की थी।

राम नाम लड्डू, गोपाल नाम घी(Ram Naam Ladd, Gopal Naam Gee)

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राम नाम लड्डू, गोपाल नाम घी ।

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