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कैसे भूलूंगा दादी मैं तेरा उपकार (Kaise Bhulunga Dadi Main Tera Upkar)

कैसे भूलूंगा दादी मैं तेरा उपकार,

ऋणी रहेगा तेरा,

ऋणी रहेगा तेरा हरदम मेरा परिवार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार ॥


घूम रही आँखों के आगे,

बीते कल की तस्वीरें,

नाकामी और मायूसी,

साथी साथी थे मेरे,

दर दर भटक रहा था,

दर दर भटक रहा था,

मैं बेबस और लाचार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार ॥


कभी कभी तो सोचूं कैसे,

खेता टूटी नैया को,

अगर नहीं बनती तुम मैया,

आकर मेरी खिवैया तो,

डूब ही जाती मेरी,

माँ डूब ही जाती मेरी,

ये नैया तो मजधार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार ॥


बोझ तेरे अहसानो का,

‘सोनू’ पर इतना ज्यादा है,

कम करने की कोशिश में ये,

और भी बढ़ता जाता है,

माँ उतर ना पाए कर्जा,

कभी उतर ना पाए कर्जा,

चाहे लूँ जन्म हजार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार ॥


कैसे भूलूंगा दादी मैं तेरा उपकार,

ऋणी रहेगा तेरा,

ऋणी रहेगा तेरा हरदम मेरा परिवार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार,

कैसे भूलूँगा दादी मैं तेरा उपकार ॥

रंग पंचमी कैसे मनाई जाती है

रंग पंचमी भारत का एक प्रमुख रंगीन त्योहार है, जो होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। इसे भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की होली से जोड़कर देखा जाता है।

अंजनी के लाल तुमको, मेरा प्रणाम हो (Anjani Ke Lal Tumko Mera Pranam Ho)

अंजनी के लाल तुमको,
मेरा प्रणाम हो,

कभी दुर्गा बनके, कभी काली बनके (Kabhi Durga Banke Kabhi Kali Banke)

कभी दुर्गा बनके,
कभी काली बनके,

फाल्गुन महीना दुर्गा अष्टमी

प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि मां दुर्गा को समर्पित है। इस शुभ तिथि पर जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा-भक्ति की जाती है। साथ ही अष्टमी का व्रत रखा जाता है।

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