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मन तड़पत हरि दर्शन को आज(Mann Tarpat Hari Darshan Ko Aaj)

मन तड़पत हरि दर्शन को आज

मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज

विनती करत हूँ रखियो लाज

॥ मन तड़पत हरि...॥


तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी

हमरी ओर नज़र कब होगी

सुन मोरे व्याकुल मन का बात

॥ मन तड़पत हरि...॥


बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ

दीजो दान हरी गुन गाऊँ

सब गुनी जन पे तुम्हारा राज

॥ मन तड़पत हरि...॥


मुरली मनोहर आस न तोड़ो

दुख भंजन मोरा साथ न छोड़ो

मोहे दरसन भिक्षा दे दो आज, दे दो आज

॥ मन तड़पत हरि...॥


मन तड़पत हरि दर्शन को आज

मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज

विनती करत हूँ रखियो लाज

कालाष्टमी में मंत्र जाप

सनातन हिंदू धर्म में कालाष्टमी का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह विशेष दिन काल भैरव बाबा को समर्पित है। यदि कोई साधक इस तिथि पर सच्चे मन से भगवान शिव के रौद्र रूप भैरव बाबा की पूजा करता है।

आजा.. नंद के दुलारे हो..हो..: भजन (Ajaa Nand Ke Dulare)

आजाआ... ओओओ...
आजा.. नंद के दुलारे हो..हो..

मंगल मूरति राम दुलारे(Mangal Murati Ram Dulare)

मंगल मूरति राम दुलारे,
आन पड़ा अब तेरे द्वारे,

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ (Main To Shiv Hi Shiv Ko Dhyau)

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ,
जल से स्नान कराऊँ,

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