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जन्मे अवध में, दशरथ के ललना (Janme Awadh Mein Dashrath Ke Lalna)

जन्मे अवध में,

दशरथ के ललना,

बाजे शंख और नगाड़े,

कौशल्या अंगना,

जन्में अवध में,

दशरथ के ललना ॥


त्रेतायुग में विष्णु जी ही,

राम रूप अवतारे,

धरा धाम को धन्य किए थे,

मानव तन को धारे,

आज झूल रहे स्वयं हरि,

चांदी पलना,

जन्में अवध में,

दशरथ के ललना ॥


मर्यादा पुरषोत्तम जग में,

रघुनन्दन कहलाए,

दीनदयालु पालनहारे,

न्याय ध्वजा फहराए,

तीनों लोको में बह रही,

राम रसना,

जन्में अवध में,

दशरथ के ललना ॥


प्रभु राम के श्री चरणों में,

वंदन बारम्बार है,

बड़ा राम से नाम राम का,

महिमा अपरम्पार है,

करे सुमिरण ‘चोखानी’,

भर आए नैना,

जन्में अवध में,

दशरथ के ललना ॥


जन्मे अवध में,

दशरथ के ललना,

बाजे शंख और नगाड़े,

कौशल्या अंगना,

जन्में अवध में,

दशरथ के ललना ॥

वन्दे मातरम् - राष्ट्रगीत (Vande Mataram - National Song)

वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्

Kewat Ne Kaha Raghurai Se Lyrics (केवट ने कहा रघुराई से)

केवट ने कहा रघुराई से,
उतराई ना लूंगा हे भगवन,

इस मंदिर में होती है गुप्त नवरात्रि पर तंत्र-साधना

सनातन हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व को नारी शक्ति और देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा को समर्पित है।

उत्पन्ना एकादशी के नियम

उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। उत्पन्ना एकादशी की उत्पत्ति का उल्लेख प्राचीन भविष्योत्तर पुराण में मिलता है, जहां भगवान विष्णु और युधिष्ठिर के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद में इसका वर्णन किया गया है।