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जो प्रेम गली में आए नहीं, प्रियतम का ठिकाना क्या जाने,
जो खेल गये प्राणो पे, श्री राम के लिए, एक बार तो हाथ उठालो,
जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे । तो मिल जायेगा वो सजन धीरे धीरे ।
जो देना हो तो मईया, उपहार ये देना,
जो भी भला बुरा है, श्री राम जानते है,
जो भजे हरि को सदा, जो भजे हरि को सदा,
भई प्रगट कुमारी भूमि-विदारी
जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है ।
जगदीश ज्ञान दाता, सुख मूल शोकहारी भगवन् ! तुम्हीं सदा हो, निष्पक्ष न्यायकारी ॥
जग में सुन्दर हैं दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम ।