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जो भजे हरि को सदा (Jo Bhaje Hari Ko Sada)

जो भजे हरि को सदा,

जो भजे हरि को सदा,

सोहि परम पद पायेगा


सोहि परम पद पायेगा


देह के माला,

तिलक और भस्म,

नहिं कुछ काम के

प्रेम भक्ति के बिना नहिं नाथ के मन भायेगा


सोहि परम पद पायेगा


सोहि परम पद पायेगा

जो भजे हरि को सदा,

जो भजे हरि को सदा,

सोहि परम पद पायेगा


सोहि परम पद पायेगा


दिल के दर्पण को,

सफ़ा कर,

दूर कर अभिमान को

खाक हो,

गुरु के चरण की,

तो प्रभु मिल जायेगा


सोहि परम पद पायेगा


सोहि परम पद पायेगा

जो भजे हरि को सदा,

जो भजे हरि को सदा,

सोहि परम पद पायेगा


सोहि परम पद पायेगा


छोड़ दुनिया के,

मज़े और बैठ,

कर एकांत में

ध्यान धर,

हरि के चरण का,

फिर जनम नहीं पायेगा


सोहि परम पद पायेगा


सोहि परम पद पायेगा

जो भजे हरि को सदा,

जो भजे हरि को सदा,

सोहि परम पद पायेगा


सोहि परम पद पायेगा


दृढ़ भरोसा,

मन में रख कर,

जो भजे हरि नाम को

कहत ब्रह्मानंद,

ब्रह्मानंद में ही समायेगा


सोहि परम पद पायेगा


सोहि परम पद पायेगा

जो भजे हरि को सदा,

जो भजे हरि को सदा,

सोहि परम पद पायेगा


सोहि परम पद पायेगा

ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अपरा नामक एकादशी (Jyesth Mas Ke Krishna Paksh Ki Apara Namak Ekaadshi)

इतनी कथा सुनने के बाद महाराज युधिष्ठिर ने पुनः भगवान् कृष्ण से हाथ जोड़कर कहा-हे मधुसूदन । अब आप कृपा कर मुझ ज्येष्ठ मास कृष्ण एकादशी का नाम और मोहात्म्य सुनाइये क्योंकि मेरी उसको सुनने की महान् अच्छा है।

नैनन में श्याम समाए गयो(Nainan Me Shyam Samay Gayo)

नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।

भजन करो मित्र मिला आश्रम नरतन का (Bhajan Karo Mitra Mila Ashram Nartan Ka)

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मात जवाला कर उजियाला (Maat Jwala Kar Ujiyala)

मात ज्वाला कर उजियाला,
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