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बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे (Baans Ki Basuriya Pe Ghano Itrave)

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,

कोई सोना की जो होती,

हीरा मोत्या की जो होती,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥


जैल में जनम लेके घणो इतरावे,

कोई महला में जो होतो,

कोई अंगना में जो होतो,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥


देवकी रे जनम लेके घणो इतरावे,

कोई यशोदा के होतो,

माँ यशोदा के जो होतो,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥


गाय को ग्वालो होके घणो इतरावे,

कोई गुरुकुल में जो होतो

कोई विद्यालय जो होतो,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥


गूज़रया की छोरियां पे घणो इतरावे,

ब्राह्मण बाणिया की जो होती,

ब्राह्मण बाणिया की जो होती,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥


साँवली सुरतिया पे घणो इतरावे,

कोई गोरो सो जो होतो,

कोई सोणो सो जो होतो,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥


माखन मिश्री पे कान्हा घणो इतरावे,

छप्पन भोग जो होतो,

मावा मिश्री जो होतो,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥


बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,

कोई सोना की जो होती,

हीरा मोत्या की जो होती,

जाणे काई करतो, काई करतो,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥

मां अन्नपूर्णा चालीसा (Maa Annapurna Chalisa)

विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय ।
अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय ।

राम भजन - सीताराम सीताराम जपा कर (Sita Ram Japa Kar)

सीताराम सीताराम जपाकर
राम राम राम राम रटा कर

रविवार की पूजा विधि

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ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अपरा नामक एकादशी (Jyesth Mas Ke Krishna Paksh Ki Apara Namak Ekaadshi)

इतनी कथा सुनने के बाद महाराज युधिष्ठिर ने पुनः भगवान् कृष्ण से हाथ जोड़कर कहा-हे मधुसूदन । अब आप कृपा कर मुझ ज्येष्ठ मास कृष्ण एकादशी का नाम और मोहात्म्य सुनाइये क्योंकि मेरी उसको सुनने की महान् अच्छा है।

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