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जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको - कबीर भजन (Jara Dhire Dhire Gadi Hanko)

जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको,

मेरे राम गाड़ी वाले,

जरा हलके गाड़ी हांको,

मेरे राम गाड़ी वाले,

जरा हौले हौले गाड़ी हांको,

मेरे राम गाड़ी वाले ॥


है जी गाड़ी म्हारी रंग रंगीली,

पहिया है लाल गुलाल,

गाड़ी म्हारी रंग रंगीली,

पहिया है लाल गुलाल,

हाकण वाली छेल छबीली,

बैठण वालो राम,

रे भैया धीरे धीरे गाड़ी हांको,

मेरे राम गाड़ी वाले ॥


है जी गाड़ी अटकी रेत में,

म्हारी मजल पड़ी है दूर,

गाड़ी अटकी रेत में,

मेरी मजल पड़ी है दूर,

धर्मी धर्मी पार उतर गया,

पापी चकना चूर,

रे भैया धीरे धीरे गाड़ी हांको,

मेरे राम गाड़ी वाले ॥


है जी देस देस का वेद बुलाया,

लाया जड़ी और बूटी,

देस देस का वेद बुलाया,

लाया जड़ी और बूटी,

जड़ी बूटी तेरे काम ना आई,

जब राम के घर की टूटी,

धीरे धीरे गाड़ी हांको,

मेरे राम गाड़ी वाले ॥


है जी चार जणा मिल माथे उठायो,

बाँधी कांठ की घोड़ी,

चार जणा मिल माथे उठायो,

बाँधी कांठ की घोड़ी,

ले जाके मरघट पे रखदि,

फूंक दीन्ही जस होरी,

रे भैया धीरे धीरे गाड़ी हांको,

मेरे राम गाड़ी वाले। ॥


बिलख बिलख कर तिरिया रोवे,

बिछड़ गई मेरी जोड़ी,

बिलख बिलख कर तिरिया रोवे,

बिछड़ गई मेरी जोड़ी,

कहे कबीर सुनो भई साधु,

जिन जोड़ी तीन तोड़ी,

रे भैया धीरे धीरे गाड़ी हांको,

मेरे राम गाड़ी वाले ॥


जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको,

मेरे राम गाड़ी वाले,

जरा हलके गाड़ी हांको,

मेरे राम गाड़ी वाले,

जरा हौले हौले गाड़ी हांको,

मेरे राम गाड़ी वाले। ॥

बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे (Bandha Tha Draupadi Ne Tumhe Char Taar Main)

बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे,
चार तार में ।

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा और महत्व

मासिक दुर्गाष्टमी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों में से एक है। यह व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा और व्रत किए जाते हैं।

मत्स्य द्वादशी कब है

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दादी झुंझुनू बुलाए, मेरा मन हर्षाये (Dadi Jhunjhunu Bulaye Mera Man Harshaye)

दादी झुंझुनू बुलाए,
मेरा मन हर्षाये,