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ज्योत से ज्योत जगाते चलो, ज्योत से ज्योत जगाते चलो
जुग जुग जियसु ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो,
जोगी भेष धरकर, नंदी पे चढ़कर ॥
जो विधि कर्म में लिखे विधाता, मिटाने वाला कोई नहीं,
जो तू मिटाना चाहे, जीवन की तृष्णा,
जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन ॥ करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन ॥ 1 ॥
जो शिव नाम होठों पे चढ़ गयो रे, तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥
जो शिव भोले की, भक्ति में रम जाएगा,
जो राम को लाए है, हम उनको लाएंगे,
वो नमस्ते दुआ और, सलाम का नहीं,