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जो विधि कर्म में लिखे विधाता (Jo Vidhi Karam Me Likha Vidhata)

जो विधि कर्म में लिखे विधाता,

मिटाने वाला कोई नहीं,

वक्त पड़े पर गजभर कपड़ा,

देने वाला कोई नहीं ॥


वक्त पड़ा राजा हरीशचंद्र पे,

काशी जो बिके भाई,

रोहित दास को डसियो सर्प ने,

रोती थी उसकी माई ll

उसी समय रोहित को देखो,

बचाने वाला कोई नहीं,

वक्त पड़े पर गजभर कपड़ा,

देने वाला कोई नहीं ॥


जो विधि कर्म में लिखे विधाता,

मिटाने वाला कोई नहीं,

वक्त पड़े पर गजभर कपड़ा,

देने वाला कोई नहीं ॥


वक्त पड़ा देखो रामचंद्र पे,

वन को गए दोनों भाई,

राम गए और लखन गए थे,

साथ गई सीता माई ll

वन में हरण हुआ सीता का,

बचाने वाला कोई नहीं,

वक्त पड़े पर गजभर कपड़ा,

देने वाला कोई नहीं ॥


जो विधि कर्म में लिखे विधाता,

मिटाने वाला कोई नहीं,

वक्त पड़े पर गजभर कपड़ा,

देने वाला कोई नहीं ॥


वक्त पड़ा अंधी अंधों पे,

वन में सरवण मरन हुआ,

सुन करके सुत का मरना फिर,

उन दोनों का मरन हुआ ll

उसी श्राप से दशरथ मर गए,

जलाने वाला कोई नहीं,

वक्त पड़े पर गजभर कपड़ा,

देने वाला कोई नहीं ॥


जो विधि कर्म में लिखे विधाता,

मिटाने वाला कोई नहीं,

वक्त पड़े पर गजभर कपड़ा,

देने वाला कोई नहीं ॥

मेरे सतगुरु दीन दयाल(Mere Satguru Den Dayal)

मेरे सतगुरु दीन दयाल,
मैं तेरा नाम जपा करूं,

भगवान शिव की पूजा विधि

चाहे सावन का कोई विशेष सोमवार हो या शिवरात्रि या फिर कोई अन्‍य व्रत या त्योहार शिव की विधि पूर्वक की गई पूजा विशेष फलदायी होती है।

इतनी विनती है तुमसे हे भोले मेरे(Itni Vinti Hai Tumse Hai Bhole Mere)

इतनी विनती है तुमसे हे भोले मेरे,
थाम के हाथ अब ना छुड़ा लेना तुम,

भगवान शिव क्यों बने थे भिखारी

संसार के सभी जीव-जंतु जीवित रहने हेतु भोजन पर निर्भर रहते हैं। सनातन हिंदू धर्म में देवी अन्नपूर्णा को अन्न के भंडार और इसकी पूर्ति करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। देवी अन्नपूर्णा की पूजा के पीछे एक पौराणिक कथा है।