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जो शिव नाम होठों पे चढ़ गयो रे (Jo Shiv Naam Hothon Pe Chadh Gayo Re)

जो शिव नाम होठों पे चढ़ गयो रे,

तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥


मन में बसा ले तू शिव का शिवाला,

साथ चलेगा तेरे डमरू वाला,

जो मन शिव की भक्ति में रम गयो रे,

तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥


जग की ये माया बड़ी उलझाए,

पाप कर्म भक्ति के आड़े आवे,

जो शिवजी ने हाथ सिर पे धर दियो रे,

तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥


बम बम बासुकी का नाम बड़ा प्यारा,

नाम ने लाखो को पार उतारा,

जो भोलेनाथ ने हाथ पकड़ लियो रे,

तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥


जो शिव नाम होठों पे चढ़ गयो रे,

तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥

कब है रुक्मिणी अष्टमी?

हिंदू धर्म में पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी को समर्पित है, जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, रुक्मिणी अष्टमी पर ही द्वापर युग में विदर्भ के महाराज भीष्मक के यहां देवी रुक्मिणी जन्मी थीं।

हार गया हूँ जग से बाबा (Haar Gaya Hoon Jag Se Baba)

हार गया हूँ जग से बाबा,
मुझको गले लगा लो तुम,

दूसरों का दुखड़ा दूर करने वाले (Doosron Ka Dukhda Door Karne Wale)

दूसरों का दुखड़ा दूर करने वाले,
तेरे दुःख दूर करेंगे राम ।

महाशिवरात्रि 2025 कब है

सनातन हिंदू धर्म में, महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। यह पर्व हर वर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। आमतौर पर यह फरवरी या मार्च महीने में आती है।

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