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ऐसा दरबार कहाँ, ऐसा दातार कहाँ,
अगर श्याम सुन्दर का सहारा ना होता, तो दुनियाँ में कोई हमारा ना होता ।
अगर प्यार तेरे से पाया ना होता, तुझे श्याम अपना बनाया ना होता ॥
अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे, तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥
अगर माँ ने ममता लुटाई ना होती, तो ममतामयी माँ कहाई ना होती ॥
ऐ री मैं तो प्रेम-दिवानी, मेरो दर्द न जाणै कोय ।
ए पहुना एही मिथिले में रहु ना, जउने सुख बा ससुरारी में,
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया, बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं,
दूर उस आकाश की गहराइयों में, एक नदी से बह रहे हैं आदियोगी,
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी बल्लभम ।