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आज बिरज में होरी रे रसिया आज बिरज में होरी रे रसिया ।
आज अयोध्या की गलियों में, घुमे जोगी मतवाला,
आज अष्टमी की पूजा करवाउंगी, ज्योत मैया जी की पावन जगाउंगी।
ऐसे मेरे मन में विराजिये ऐसे मेरे मन में विराजिये
आई बागों में बहार, झूला झूले राधा प्यारी ।
धूम मचाने आ जइयो आई होली सावरिया, होली सावरिया आई होली सावरिया,
आदितमल के पक्की रे सड़कीया, कुजडा छानेला दोकान,
आदि अंत मेरा है राम, उन बिन और सकल बेकाम ॥
अब मैं सरण तिहारी जी, मोहि राखौ कृपा निधान ॥
अब किसी महफिल में जाने, की हमें फुर्सत नहीं,