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आज बिरज में होरी रे रसिया: होली भजन (Aaj Biraj Mein Hori Re Rasiya)

आज बिरज में होरी रे रसिया

आज बिरज में होरी रे रसिया ।

होरी रे होरी रे बरजोरी रे रसिया ॥


अपने अपने घर से निकसी,

कोई श्यामल कोई गोरी रे रसिया ।


कौन गावं के कुंवर कन्हिया,

कौन गावं राधा गोरी रे रसिया ।


नन्द गावं के कुंवर कन्हिया,

बरसाने की राधा गोरी रे रसिया ।


कौन वरण के कुंवर कन्हिया,

कौन वरण राधा गोरी रे रसिया ।


श्याम वरण के कुंवर कन्हिया प्यारे,

गौर वरण राधा गोरी रे रसिया ।


इत ते आए कुंवर कन्हिया,

उत ते राधा गोरी रे रसिया ।


कौन के हाथ कनक पिचकारी,

कौन के हाथ कमोरी रे रसिया ।


कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी,

राधा के हाथ कमोरी रे रसिया ।


उडत गुलाल लाल भए बादल,

मारत भर भर झोरी रे रसिया ।


अबीर गुलाल के बादल छाए,

धूम मचाई रे सब मिल सखिया ।


चन्द्र सखी भज बाल कृष्ण छवि,

चिर जीवो यह जोड़ी रे रसिया ।


आज बिरज में होरी रे रसिया ।

होरी रे होरी रे बरजोरी रे रसिया ॥

मैया मैं तेरी पतंग (Maiya Main Teri Patang)

मैया मैं तेरी पतंग,
हवा विच उडदी जावांगी,

मात भवानी अम्बे माँ (Maat Bhawani Ambe Maa)

मात भवानी अम्बे माँ,
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तुम से लागी लगन.. पारस प्यारा (Tumse Lagi Lagan Le Lo Apni Sharan Paras Pyara)

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क्या है कालाष्टमी कथा

हिंदू धर्म में हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इसे भैरव अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है।