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बाबा का दरबार सुहाना लगता है (Baba Ka Darbar Suhana Lagta Hai)

बाबा का दरबार सुहाना लगता है,

भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ॥


हमने तो बड़े प्यार से कुटिया बनायीं है,

कुटिया में बाबा तेरी मूरत सजाई है,

अच्छा हमें तुमको सजाना लगता है,

भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ॥


बाबा का दरबार सुहाना लगता है,

भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ॥


रंग बिरंगे फूलो की लड़िया लगे प्यारी,

बालाजी तेरी सूरत हमे लागे बड़ी न्यारी,

अच्छा हमें तुझको मनाना लगता है,

भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ॥


बाबा का दरबार सुहाना लगता है,

भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ॥


हम तेरी राहों को पलकों से बुहारेंगे,

तुम ना आओगे तो बाबा तुम्हें पुकारेंगे,

अच्छा हमें तुझको बुलाना लगता है,

भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ॥


बाबा का दरबार सुहाना लगता है,

भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ॥


हम तेरी चोखट पे बाबा बिछ-बिछ जायेंगे,

कहते है भक्त तेरी महिमा गाएँगे,

अच्छा हमे रिश्ता निभाना लगता है,

भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ॥


बाबा का दरबार सुहाना लगता है,

भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ॥


बाबा का दरबार सुहाना लगता है,

भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ॥

जगदम्बा के दीवानो को, दरश चाहिए (Jagdamba Ke Deewano Ko Daras Chahiye)

जगदम्बा के दीवानो को,
दरश चाहिए, दरश चाहिए,

ब्रज होली की पौराणिक कथा

होली का नाम सुनते ही हमारे मन में रंगों की खुशबू, उत्साह और व्यंजनों की खुशबू बस जाती है। यह भारत के सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, लेकिन इसकी उत्पत्ति के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। हालांकि, होली से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं।

वृंदावनी वेणू (Vrindavani Venu)

वृंदावनी वेणु कवणाचा माये वाजे ।
वेणुनादें गोवर्धनु गाजे ॥

वीर हनुमाना राम का दीवाना (Veer Hanumana Ram Ka Diwana)

छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना, वीर हनुमाना राम का दीवाना,