नवीनतम लेख

राधा रानी की पूजा विधि

मासिक जन्माष्टमी पर ऐसे करें राधा रानी की पूजा, जानिए क्या है शुभ योग 



मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह पर्व उनकी भक्ति और कृपा प्राप्त करने का अनोखा अवसर प्रदान करता है। इस शुभ अवसर पर भक्तगण घर और मंदिरों में भक्ति-भाव से पूजा करते हैं। तो आइए इस आलेख में जानते हैं मासिक कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त, योग और राधा रानी की विशेष पूजा विधि के बारे में विस्तार से।


मासिक कृष्ण जन्माष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त


वेदों और ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 22 नवंबर 2024 को संध्या 06:07 बजे होगा। यह तिथि 23 नवंबर 2024 को संध्या 07:56 बजे समाप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर निशीथ काल में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। इसलिए, 22 नवंबर 2024 को मासिक जन्माष्टमी मनाई जाएगी।


मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ योग


इस बार मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर कई शुभ और दुर्लभ योग बन रहे हैं, जो इस दिन की पवित्रता और महत्ता को और बढ़ा देते हैं। इन योगों में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने से साधकों को अत्यधिक पुण्य और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  • रवि योग: सुबह 11:34 बजे तक रहेगा।
  • ब्रह्म योग: दुर्लभ ब्रह्म योग भी इसी समय बनेगा।
  • इंद्र योग: रवि योग के बाद इंद्र योग का निर्माण होगा, जिसे भी शुभ और फलदायक माना गया है। इन सभी योगों में कोई भी धार्मिक कार्य, व्रत या पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है।


पंचांग विवरण


  • सूर्योदय: सुबह 06:50 बजे
  • सूर्यास्त: शाम 05:25 बजे
  • चंद्रोदय: रात 11:41 बजे
  • चंद्रास्त: देर रात 12:35 बजे
  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:02 बजे से 05:56 बजे तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 01:53 बजे से 02:35 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:22 बजे से 05:49 बजे तक
  • निशिता मुहूर्त: रात 11:41 बजे से 12:34 बजे तक


मासिक जन्माष्टमी पर पूजा विधि


  1. स्नान और संकल्प: इस दिन प्रातःकाल या संध्या समय स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा का संकल्प लें।
  2. मंदिर सजाएं: भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें सुंदर वस्त्र एवं आभूषण पहनाएं।
  3. आराधना: भगवान को माखन-मिश्री, पंचामृत और फलों का भोग लगाएं।
  4. कीर्तन-भजन: शाम के समय भगवान की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और कीर्तन-भजन का आयोजन करें।
  5. रात्रि जागरण: रात के समय जागरण करते हुए भगवान की लीलाओं का स्मरण करें।
  6. अष्टमी का उपवास: व्रत रखने वाले व्यक्ति पूरे दिन फलाहार करें और अष्टमी के बाद व्रत खोलें।


मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व


मासिक कृष्ण जन्माष्टमी केवल भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का पर्व नहीं है, बल्कि यह साधकों को उनके आशीर्वाद से समस्त सुखों की प्राप्ति का अवसर भी प्रदान करता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के शरणागत रहने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के उपरांत उच्च लोक की प्राप्ति होती है। इस पावन अवसर पर आप भी भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करें और उनकी कृपा प्राप्त करें।


बसंत सम्पात 2025: महत्व और अनुष्ठान

रंग पंचमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे होली के पांचवें दिन मनाया जाता है। इसे बसंत महोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करने का महत्व बताया गया है।

रंग पंचमी पर देवताओं को कौन सा रंग चढ़ाएं

रंग पंचमी 2025 इस वर्ष 21 मार्च को मनाई जाएगी। यह पर्व होली के पांचवें दिन फाल्गुन मास की शुक्ल पंचमी तिथि को आता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, रंग पंचमी का दिन देवी-देवताओं को समर्पित होता है और इस दिन वे भी गीले रंगों से होली खेलते हैं।

कलयुग का देव निराला मेरा श्याम है खाटू वाला - भजन (Kalyug Ka Dev Nirala Mera Shyam Hai Khatu Wala)

कलयुग का देव निराला,
मेरा श्याम है खाटू वाला,

शीश गंग अर्धंग पार्वती (Sheesh Gang Ardhang Parvati)

शीश गंग अर्धंग पार्वती,
सदा विराजत कैलासी ।

यह भी जाने