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हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष का 11वां महीना माघ मास कहलाता है। यह महीना पौष पूर्णिमा के तुरंत बाद शुरू होता है। माघ मास को सनातन धर्म में बेहद पवित्र और शुभ माना जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु और सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस महीने में सच्चे मन से भगवान की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान करने, दान करने और पूजा-पाठ करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
माघ मास में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है, जो कि हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। माघ मास में की गई पूजा-अर्चना से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है। आपको बता दें, इस साल माघ मास की शुरुआत 14 जनवरी, 2025 से हो रही है और यह 12 फरवरी, 2025 तक चलेगा। आइए इस भक्त वत्सल के इस लेख में माघ माह के बारे में विस्तार से जानते हैं।
स्कंद पुराण के अनुसार, प्राचीन काल में, नर्मदा नदी के पवित्र तट पर एक गाँव था। इस गाँव में एक विद्वान ब्राह्मण रहता था, जिसका नाम शुभव्रत था। शुभव्रत वेदों और शास्त्रों का गहरा ज्ञाता था। उसकी वाणी में इतना तेज था कि सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते थे। लेकिन, उसके मन में एक बड़ी कमजोरी थी - धन का अत्यधिक मोह। वह दिन-रात धन कमाने में लगा रहता था।
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई, शुभव्रत के शरीर में कई बीमारियां लग गईं। वह अब पहले जैसा स्वस्थ नहीं रह गया था। बीमारी की पीड़ाओं ने उसे जीवन के अर्थ पर गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया। उसे अहसास हुआ कि उसने धन कमाने में अपना पूरा जीवन बर्बाद कर दिया है। उसके पास तो इतना धन था कि कई जन्मों तक उसे काफी रहता, फिर भी वह संतुष्ट नहीं था।
एक दिन, जब वह बीमारी के कारण बहुत दुखी था, तो उसे एक श्लोक याद आया। यह श्लोक माघ महीने के महत्व के बारे में था। श्लोक में कहा गया था कि माघ महीने में नर्मदा नदी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शुभव्रत ने सोचा कि अब उसके पास और कोई उपाय नहीं बचा है। उसने नर्मदा नदी के किनारे जाकर नौ दिनों तक प्रतिदिन स्नान किया। दसवें दिन, जब वह स्नान करके बाहर आया तो उसने प्रभु को याद किया और अपना शरीर त्याग दिया।
माघ महीने का नाम इसीलिए पड़ा है क्योंकि इस महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा मघा नक्षत्र में होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ महीने में पवित्र नदियों या तीर्थों में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है। विशेष रूप से बीकानेर के कोलायत स्थित कपिल मुनि सरोवर में स्नान करने को बहुत पुण्यदायी माना जाता है, ऐसा माना जाता है कि यहां स्नान करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, इसी माह में प्रयागराज में महाकुंभ का भी आयोजन हो रहा है। इसलिए इस माह में शाही स्नान करने से सभी भक्तों को बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
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