माघ माह में स्नान का क्या है धार्मिक महत्व

रामचरितमानस में भी मिलता है माघ महीने का जिक्र, जानिए इस दौरान स्नान का महत्व 


माघ का महीना हिंदू धर्म में पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। इस महीने में स्नान करने का विशेष महत्व है, जिसे माघ स्नान कहते हैं। मान्यता है कि माघ महीने में देवता पृथ्वी पर आते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इसीलिए, इस महीने में स्नान करने से व्यक्ति देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करता है। माघ स्नान करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल मिलता है। यह सभी पापों से मुक्ति दिलाता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।  

माघ स्नान से शरीर स्वस्थ रहता है और कई रोगों से मुक्ति मिलती है। माघ स्नान से मन शांत होता है और आत्मिक उन्नति होती है। आपको बता दें, माघ स्नान के लिए कोई विशेष मुहूर्त नहीं होता है। आप माघ महीने में किसी भी दिन सुबह स्नान कर सकते हैं। हालांकि, अधिक शुभ फल प्राप्त करने के लिए पूर्णिमा या एकादशी के दिन स्नान किया जा सकता है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि माघ माह में स्नान करने का महत्व क्या है? 

माघ माह में स्नान करने का महत्व क्या है? 


भारतीय संस्कृति में बारह महीने का एक चक्र होता है, जिसमें प्रत्येक महीने का अपना विशेष महत्व है। इन बारह महीनों में माघ मास को सर्वश्रेष्ठ महीना माना जाता है।

रामचरितमानस में माघ मास के महत्व को बड़े ही सुंदर शब्दों में व्यक्त किया गया है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है कि जो व्यक्ति माघ मास में एक महीने तक गंगा नदी में स्नान करता है, उसे मकर नहाय कहा जाता है। माघ स्नान का सर्वश्रेष्ठ समय प्रातःकाल चार से छह बजे के मध्य माना जाता है। विशेषकर संगम में स्नान करने का बहुत महत्व है। इस एक महीने के निवास को कल्पवास कहा जाता है।

शास्त्रों के अनुसार, माघ मास में किया गया स्नान सभी प्रकार के पापों का नाश करने वाला होता है। चाहे वे जानबूझकर किए गए हों या अनजाने में। माघ स्नान न केवल व्यक्तिगत पापों का नाश करता है बल्कि उसके पूरे परिवार पर भी आशीर्वाद बरसाता है। चूंकि कल्पवास आमतौर पर परिवार का मुखिया ही करता है, इसलिए इसका लाभ पूरे परिवार को मिलता है।

वहीं, अगर जो जातक लगातार 1 माह तक स्नान नहीं कर राते हैं, तो आप कुछ ऐसे विशेष तिथियां हैं। जिसमें आप स्नान करके पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। आप  बसंत पंचमी, अमावस्या, नवमी, एकादशी इन तिथियों पर स्नान कर सकते हैं। 

वहीं. बहुत से लोग माघ के महीने में गंगा स्नान के लिए नहीं जा पाते हैं। उनके लिए शास्त्रों में एक विधि बताई गई है।  माघ महीने में सुबह 4 से 6 बजे के बीच उठकर स्नान करना चाहिए। आप नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं। स्नान के समय तिल का तेल लगाना चाहिए और तिल का दान करना चाहिए। यह भी पुण्यदायी माना जाता है।  स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसे तर्पण कहते हैं।

स्नान करने के दौरान करें इन मंत्रों का जाप 


  • ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याभंतर: शुचि:।।
  • गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन् सन्निधिं कुरू।
  • भास्कराय विद्महे । महद्द्युतिकराय धीमहि । तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्। 
  • आप अपने इष्टदेव का मंत्र भी जाप कर सकते हैं।

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कान छेदने के मुहूर्त

हिंदू धर्म में मानव जीवन में कुल 16 संस्कारों का बहुत अधिक महत्व है इन संस्कारों में नौवां संस्कार कर्णवेध या कान छेदने का संस्कार।

शिव समा रहे मुझमें (Shiv Sama Rahe Hain Mujhme)

ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय

भीष्म अष्टमी पर करें गंगा स्नान

भीष्म अष्टमी सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन विशेष रूप से पितरों को समर्पित होता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके वंश में संतान नहीं होती। यह पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

कब है सोमवती अमावस्या

अमावस्या तिथि प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है। इस तिथि का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन स्नान-दान करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है।

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