रुक्मिणी अष्टमी के दिन करें ये उपाय

जीवन में धन, सुख और समृद्धि पाने के लिए रुक्मिणी अष्टमी के दिन करें ये उपाय 



पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। जो इस साल 22 दिसंबर को मनाया जा रहा है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पहली पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्म की याद में मनाया जाता है। रुक्मिणी अष्टमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना और उपाय करने से प्रेम, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 

यह पर्व हमें प्रेम, समर्पण और सुख की भावना को दर्शाता है। रुक्मिणी अष्टमी के दिन किए जाने वाले उपाय और पूजा-अर्चना से न केवल प्रेम और सुख की प्राप्ति होती है बल्कि यह हमारे जीवन को भी सकारात्मक दिशा में ले जाने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं कि रुक्मिणी अष्टमी के दिन कौन से उपाय करने से धन संबंधी समस्याएं दूर हो सकती हैं।

रुक्मिणी अष्टमी के दिन करें ये उपाय


रुक्मिणी अष्टमी के दिन व्रत करें और किसी गरीब कन्या को घर बुलाकर अपने हाथ से सम्मान के साथ भोजन कराएं। उन्हें वस्त्र, दक्षिणा आदि देकर पैर छूकर विदा करें। इस उपाय को करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और सौभाग्य का वरदान देती हैं। इसके अलावा- 

सुहागिन महिलाओं को दें दान


रुक्मिणी अष्टमी के दिन किसी सुहागिन महिला को मिठाई, वस्त्र, सुहाग सामग्री का दान दें। महिलाओं को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है।

व्रत और पूजा का महत्व


रुक्मिणी अष्टमी के दिन व्रत करें। फिर शाम के समय पान के पत्ते पर कपूर और लौंग जलाकर मां लक्ष्मी की आरती करें। उन्हें पुष्पमाला, कमल पुष्प, धूप, दीपक आदि समर्पित करें। आरती के बाद उन्हें खीर, नारियल और बताशा प्रसाद स्वरूप अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से साल भर मां लक्ष्मी के आशीर्वाद से घर के सब भंडार भरे रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन यानि रुक्मिणी अष्टमी के दिन व्रत रखने से उनके धन-धान्य में वृद्धि होगी।

कनकधारा स्त्रोत और श्री सूक्त का पाठ


रुक्मिणी अष्टमी के दिन कनकधारा स्त्रोत और श्री सूक्त का पाठ जरूर करें। आप चाहें तो इस पाठ को नियमित रूप से कर सकते हैं। ऐसा करना आपके और आपके परिवार के लिए सुख, सौभाग्य और समृद्धि लेकर आता है।

महिलाएं रुक्मिणी अष्टमी पर करें ये उपाय 


रुक्मिणी अष्टमी पर महिलाएं प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके भगवान सत्यनारायण, पीपल के वृक्ष और तुलसी के पौधे को जल अर्पण करना चाहिए। गाय के घी का दीपक उपाय इस दिन स्त्रियां सायंकाल गाय के घी का दीपक जलती हैं। कपूर से आरती करती हैं और पूजा आरती के बाद फलाहार ग्रहण करती हैं। रात जागरण करती हैं रुक्मिणी जी की कहानी का श्रवण करती हैं। कृष्ण जी के मंत्रों का पाठ कर अगले दिन नवमी को ब्राह्मणों को भोजन करा करके व्रत पूर्ण किया जाना चाहिए। उसके बाद स्वयं भोजन करना चाहिए। जीवन के सभी सुख होते हैं प्राप्त रुक्मिणी अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ देवी रुक्मिणी की पूजा करने से जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं।

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अम्बे रानी तेरो झूलना रे (Ambe Rani Tero Jhulna Re)

झूला झुलाये रहे वाह रे लंगूरवा।
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माता जानकी के जन्म से जुड़ी कथा

माता जानकी का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ था, जब राजा जनक ने एक दिन खेत जोतते समय एक कन्या को पाया। उन्होंने उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया और उसका पालन-पोषण किया।

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