श्रावण मास की कामिका एकादशी (Shraavan Maas Kee Kaamika Ekaadashee)

युधिष्ठिर ने कहा-हे भगवन्! श्रावण मास के कृष्णपक्ष की एकादशी का क्या नाम और क्या माहात्म्य है सो मुझसे कहने की कृपा करें। श्रीकृष्णचन्द्रजी ने कहा-हे युधिष्ठिर ! मैं सभी पापों से मुक्त होने वाले व्रत की कथा का वर्णन करता हूँ। जिसको कि पहले ब्रह्माजी ने अपने पुत्र नारदजी से कहा था। श्रावण मास के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम कामिका है जिसका की केवल माहात्म्य ही सुनने भर से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। उस दिन जो मनुष्य शंख, चक्र, गदाधारी एवं श्रीधर नामक विष्णु का पूजन करता है और भक्तिपूर्वक ध्यान करता है उसको नैमिषारण्य में एवं पुष्कर तथा काशी में गंगा स्नान का जो फल होता है उससे भी अधिक उत्तम फल की प्राप्ति होती है। वह फल इस प्रकार का है जो कि सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र के स्नान में एवं श्री केदारनाथजी के दर्शन से भी होना कठिन है।

व्यतीपात योग में गण्डकी नदी में स्नान करने से एवं सिंहस्थ गुरु में श्री गोदावरी जी में स्नान करने से उस फल की प्राप्ति नहीं होती जो कि श्रीकृष्णचन्द्र जी के पूजन द्वारा प्राप्त होती है। कामिका एकादशी का व्रत रखना और समुद्र पर्यन्त भूमि का दान करना दोनों का फल एक ही समान है। श्रावण मास में भगवान् श्रीधरजी का पूजन करके गन्धर्व देव एवं उरग और पन्नग इत्यादिक भी पूजा योग्य होते हैं। अस्तु जो पापपंक में लिप्त एवं असाररूपी संसार में फंसे हुए हैं इस प्रकार के मनुष्यों को स्वयं उद्धार के निमित्त कामिका एकादशी के दिन अनेकों प्रयत्न पूर्वक व्रत करके श्री भगवान् का भक्ति पूर्वक पूजन करना चाहिये। इससे उत्तम पापमुक्त होने का अन्य व्रत नहीं है।

अध्यात्म-विद्या जिनको ज्ञात है उनको जिस- जिस फल की प्राप्ति होती है उस उस फल की प्राप्ति मनुष्य को कामिका एकादशी का व्रत करके रात्रि में जागरण करने से होती है। कामिका एकादशी के व्रत का ही प्रभाव है जो योगियों ने मुक्ति प्राप्त की है। अस्तु सच्चरित्र मनुष्यों को इस व्रत को करना नितान्त ही आवश्यक है। एक बार के सुवर्ण दान से या उससे चतुर्गुण चाँदी दान करने अथवा रत्न इत्यादिक द्वारा पूजा से भगवान् उस प्रकार सन्तुष्ट नहीं होते, जितना कि तुलसी पत्र के पूजन करने से सन्तुष्ट होते हैं। जिन मनुष्यों ने तुलसी की मञ्जरी द्वारा भगवान् की पूजा की है वे अपने जन्म-जन्मान्तरों के घोर पापों को भी नष्ट कर डालते हैं।

इस प्रकार की तुलसी देवी को शतशः प्रणाम है जिसके कि केवल दर्शन मात्र एवं स्पर्श से ही सकल पाप नष्ट होकर शरीर पवित्र हो जाता है। जो मनुष्य एकादशी के दिन भगवान् को रात्रि में दीप दान करते हैं उस फल प्राप्ति को चित्रगुप्त भी नहीं समझ सकते। उस दिन जो मनुष्य रात्रि पर्यन्त भगवान् की प्रतिमा के सम्मुख दीप को जलाया करता है उसके पितर लोगों को अमृत प्राप्त होता है। घृत एवं त्तिल के तेल से दीपक जलाने वाले को कामदा के प्रभाव द्वारा स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। इसलिये इस प्रकार के पाप नाशिनी कामिका नाम एकादशी का व्रत हर मनुष्य को करना उचित है। इसके प्रभाव से अनेकों प्रकार की हत्यायें अर्थात् ब्रह्महत्या, भ्रूणहत्या आदि के जो महान् पातक हैं वे शीघ्र छूट जाते हैं और विष्णु जी की प्राप्ति होती है।

कामिका एकादशी व्रत कथा

एक गाँव में एक वीर क्षत्रिय रहता था, एक दिन किसी कारण वश उसकी ब्राह्मण से हाथापाई हो गई और ब्राह्मण की मृत्य हो गई। अपने हाथों मारे गये ब्राह्मण की क्रिया उस क्षत्रिय ने करनी चाही परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया। ब्राह्मणों ने बताया कि तुम पर ब्रह्म-हत्या का दोष है। पहले प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्त हो तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे।

इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है। तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत एवं पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराके दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी। पंडितों के बताये हुए तरीके पर व्रत वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म-हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।

इस व्रत के करने से ब्रह्म-हत्या आदि के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु क में सुख भोगकर प्राणी अन्त में विष्णुलोक को जाते हैं। इस कामिका एकादशी के माहात्म्य के श्रवण व पठन से मनुष्य स्वर्गलोक को प्राप्त करते हैं।

॥ जय श्री हरि ॥ 


........................................................................................................
देवा हो देवा गणपति देवा (Deva Ho Deva Ganpati Deva)

गणपति बाप्पा मोरया
मंगल मूर्ति मोरया

बांके बिहारी की देख छटा (Banke Bihari Ki Dekh Chhata)

बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।

श्री राम तेरी महिमा से - भजन (Shri Ram Teri Mahima Se)

श्री राम तेरी महिमा से,
काम हो गया है,

Hartalika Teej 2024: शिव और पार्वती की कृपा के लिए रखें हरतालिका तीज का व्रत

सनातन धर्म में हरतालिका तीज को सुहागिनों के सबसे बड़े त्योहार के रूप में मान्यता मिली हुई।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।