एकादशी पूजन विधि (Ekadashi Poojan Vidhi )

एकादशी पूजन में विशेष तौर से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है इस दिन पवित्र नदी या तालाब या कुआं में स्नान करके व्रत को धारण करना चाहिए एकादशी व्रत मार्ग्षीर अगहन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी से यह व्रत प्रारंभ करना चाहिए और आपको जितने भी व्रत करना है एकादशी के उतने व्रत का विशेष तौर से संकल्प लेना चाहिए संकल्प में यदि आप संकल्प का मंत्र जानते हैं तो मंत्र  के द्वारा संकल्प लेना चाहिए संकल्प लेने की तत्पश्चात सर्वप्रथम एकादशी में चार विशेष बातें बताई गई हैं जो इस प्रकार हैं-

पहली विशेषता एकादशी व्रत की क्या है की भगवान का नाम जाप करना ।

दूसरी विशेषता क्या है कि यदि अगर आप एकादशी व्रत में निर्जल रहकर व्रत करना चाहते हैं तो आप अपनी शक्ति के अनुसार निर्जल व्रत भी कर सकते हैं यदि अगर आपसे निर्जल व्रत ना बने तो एकादशी में जल ग्रहण कर सकते हैं और यदि अगर आप जल ग्रहण करके भी एकादशी का व्रत नहीं कर सकते तो आप फल आहार लेकर एकादशी का व्रत कर सकते हैं यदि आप फल का आहार लेकर भी व्रत नहीं कर सकते तो आप एक समय भोजन कर कर व्रत कर सकते हैं यदि आपकी यह भी शक्ति नहीं है तो आप तुलसी दल लेकर व्रत कर सकते हैं।

एकादशी में तीसरी बात बताई है की व्रत का पारण करना और भगवान विष्णु का पूजन करना और एकादशी का संकल्प गोल सुपारी से नहीं लिया जाता एकादशी व्रत का संकल्प तुलसी दल पुष्प एवं श्वेत तिल (तिली) नहीं लेकर संकल्प करें संकल्प करने के पश्चात सोर्स उपचार पूजन करना चाहिए भगवान विष्णु का और एकादशी में अक्षत का कहीं भी प्रयोग नहीं करना चाहिए दसवीं के शाम से आपको चावल का भोजन भी नहीं करना चाहिए।

एकादशी की चौथी विशेष बात है पारण करना पारण का अर्थ होता है पूर्ण करना यानी द्वादशी को प्रदोष व्रत से पहले आपको एकादशी का पारण कर लेना चाहिए इस प्रकार एकादशी की यह पूजन एवं उत्पन्न एकादशी से व्रत चालू करना चाहिए।

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वन में चले रघुराई (Van Me Chale Raghurai )

वन में चले रघुराई,
संग उनके सीता माई,

जोगी भेष धरकर, नंदी पे चढ़कर (Jogi Bhesh Dharkar Nandi Pe Chadhkar)

जोगी भेष धरकर,
नंदी पे चढ़कर ॥

झंडा बजरंग बली का (Jhanda Bajrangbali Ka)

लहर लहर लहराए रे,
झंडा बजरंग बली का,

Shri Guru Gorakhnath Chalisa (श्री गोरखनाथ चालीसा)

गणपति गिरजा पुत्र को । सुमिरूँ बारम्बार ।
हाथ जोड़ बिनती करूँ । शारद नाम आधार ॥

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