आरती श्री पितर जी की (Aarti of Shri Pitar Ji Ki)

॥ श्री पितर आरती ॥


जय पितरजी महाराज, जय जय पितरजी महाराज।

शरण पड़यो हूँ थारी, राखो हमरी लाज॥


आप ही रक्षक आप ही दाता,आप ही खेवनहारे।

मैं मूरख कछु न जानू, आप ही हो रखवारे॥

जय पितरजी महाराज....


आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने मेरी रखवारी।

हम सब शरण हैं आपकी, सुनिए अरज हमारी॥

जय पितरजी महाराज....


देश परदेश सब जगह,आप ही करो सहाई।

काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई॥

जय पितरजी महाराज....


भक्त सभी हैं शरण आपकी,अपने सहित परिवार।

रक्षा करो आप ही सबकी, रटूँ मैं बारम्बार॥

जय पितरजी महाराज....


जय पितरजी महाराज, जय जय पितरजी महाराज।

शरण पड़यो हूँ थारी, राखो हमरी लाज॥


पितरदेव महाराज की जय

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शरण हनुमत की जो आया (Sharan Hanumat Ki Jo Aaya)

शरण हनुमत की जो आया,
उसे पल में संभाला है,

छम छम नाचे हनुमान, बजे रे पग पैजनिया (Cham Cham Nache Hanuman Baje Re Pag Paijaniya)

छम छम नाचे हनुमान,
बजे रे पग पैजनिया,

वीर बली हनुमान, थारे ह्रदय सियाराम (Veer Bali Hanuman Thare Hirde Siyaram)

वीर बली हनुमान,
थारे ह्रदय सियाराम,

मासिक जन्माष्टमी पर राशि अनुसार पूजा

हिंदू धर्म में हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप, काल भैरव की पूजा की जाती है और इसे कालाष्टमी के रूप में मनाया जाता है।