श्री सिद्धिविनायक जी की आरती (Shri Siddhivinayak Ji Ki Aarti )

।।आरती ।।  


जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ति.....


1) सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची


नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची


सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची


कंठी झलके माल मुकताफळांची


 जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति


दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ति


जय देव जय देव....



2) रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा


चंदनाची उटी कुमकुम केशरा


हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा


रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया


जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति


दर्शनमात्रे मनकामना पूर्ति


जय देव जय देव...



3) लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना


सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना


दास रामाचा वाट पाहे सदना


संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना


जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति


दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ति


जय देव जय देव....



4) शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को


दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को


हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को


महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को


जय जय जय जय जय


जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता


धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता


जय देव जय देव....



5) अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी


विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी


कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी


गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी


जय देव जय देव....


जय जय जय जय जय


जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता


धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता


जय देव जय देव...



6) भावभगत से कोई शरणागत आवे


संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे


ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे


गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे


 जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता


धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता


जय देव जय देव...



"बोलिये श्रीगजानन महाराजकी जय "

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भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम (Bhar Pichkari Mari Hai Fag Machayo Shyam)

अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम,
अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्या,

कितने साल तक रखना चाहिए एकादशी और प्रदोष व्रत

हिन्दू धर्म में एकादशी और प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। ये व्रत धार्मिक श्रद्धा, मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ के लिए किए जाते हैं।

ओ पवन पुत्र हनुमान (Oh Pawan Putra Hanuman)

पवन तनय संकट हरण,
मंगल मूर्ति रूप,

शिवजी को काल भैरव क्यों कहते हैं

मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के तट पर भगवान शिव महाकाल के रूप में विराजमान हैं। बारह ज्योतिर्लिंगों में यह तीसरे स्थान पर आता है। उज्जैन में स्थित यह ज्योतिर्लिंग देश का एकमात्र शिवलिंग है जो दक्षिणमुखी है। मंदिर से कई प्राचीन परंपराएं जुड़ी हुई हैं।