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हे त्रिपुरारी गंगाधरी सृष्टि के आधार,
होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा और झूम रही दुनिया सारी,
हे ज्योति रूप ज्वाला माँ, तेरी ज्योति सबसे न्यारी है ।
होली आई रे होली आई रे होली आई वृन्दावन खेले गोरी भागन पे आयो है फागण महीना कभू प्रेम की होरी बईं न,
हे जगवंदन गौरी नन्दन, नाथ गजानन आ जाओ,
हो सके जो अगर श्याम मेरे जो हुआ सो हुआ भूल जाओ,
हे गोवर्धन गिरधारी, तुझे पूजे दुनिया सारी,
हो हो बालाजी मेरा संकट काटो ने हो इधर उधर न डोल रहया,
हे गिरधर गोपाल लाल तू, आजा मोरे आँगना,
हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा वाल्मीकि अति दुखी दीन थे,