नवीनतम लेख

होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा(Holi Khel Rahe Banke Bihari Aaj Rang Baras Raha)

होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा ,

और झूम रही दुनिया सारी,

आज रंग बरस रहा ॥


अबीर गुलाल के बादल छा रहे है,

होरी है होरी है छोर मचा रहे,

झोली भर के गुलाल कि मारी,

आज रंग बरस रहा ॥


देख देख सखियन के मन हर्षा रहे,

मेरे बांके बिहारी आज प्रेम बरसा रहे,

उनके संग में हैं राधा प्यारी,

आज रंग बरस रहा ॥


आज नंदलाला ने धूम मचाई है,

प्रेम भरी होली कि झलक दिखायी है,

रंग भर भर के मारी पिचकारी,

आज रंग बरस रहा ॥


अबीर गुलाल और ठसो का रंग है,

वृंदावन बरसानो झूम रह्यो संग है,

मैं बार बार जाऊं बलिहारी ॥


वैकुंठ चतुर्दशी पर पितृ तर्पण

हिंदू धर्म में वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है।

चैत्र में चंद्र दर्शन के मुहूर्त

हिंदू धर्म में चंद्रमा को देवता समान माना जाता है और उनकी पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। चंद्र दर्शन का विशेष महत्व अमावस्या के बाद पहली बार चंद्रमा के दर्शन करने से जुड़ा हुआ है।

तेरी जय हों जय हों, जय गोरी लाल(Teri Jay Ho Jay Ho Jay Gauri Lal)

तेरी जय हो जय हो,
जय गोरी लाल ॥

जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा(Jindagi Me Hajaro Ka Mela Juda)

जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा,
हंस जब-जब उड़ा तब अकेला उड़ा ।

यह भी जाने