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हे गोवर्धन गिरधारी, तुझे पूजे दुनिया सारी (Hey Govardhan Girdhari Tujhe Puje Duniya Saari)

हे गोवर्धन गिरधारी,

तुझे पूजे दुनिया सारी,

तेरी परिक्रमा जो करले,

मिट जाए विपदा सारी,

हे गोवर्धंन गिरधारी,

तुझे पूजे दुनिया सारी ॥


है सात कोस की परिक्रमा,

बड़ी भारी है इनकी महिमा,

कानो में कुण्डल चमकत है,

ठोड़ी पे हिरा दमकत है,

तेरी झांकी बड़ी मनोहारी,

तुझे पूजे दुनिया सारी,

हे गोवर्धंन गिरधारी,

तुझे पूजे दुनिया सारी ॥


आज अन्नकूट का भोग लगा,

तेरा छप्पन भोग क्या खूब सजा,

इतने व्यंजन बनवाए है,

घर घर से सब ले आए है,

करे नृत्य सकल नर नारी,

तुझे पूजे दुनिया सारी,

हे गोवर्धंन गिरधारी,

तुझे पूजे दुनिया सारी ॥


कुछ तो माखन को बल बढ्यो,

कुछ ग्वालन करि सहाय,

श्री राधे जु की कृपा ते,

मैंने गिरिवर लियो उठाय,

यूँ बोले मदन मुरारी,

तुझे पूजे दुनिया सारी,

हे गोवर्धंन गिरधारी,

तुझे पूजे दुनिया सारी ॥


हे गोवर्धन गिरधारी,

तुझे पूजे दुनिया सारी,

तेरी परिक्रमा जो करले,

मिट जाए विपदा सारी,

हे गोवर्धंन गिरधारी,

तुझे पूजे दुनिया सारी ॥

वैकुण्ठ चतुर्दशी की कथा (Vaikunth Chaturdashi Ki Katha)

वैकुण्ठ चतुर्दशी को लेकर एक कथा काफी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार एक बार श्रीहरि विष्णु देवाधिदेव शंकर जी का पूजन करने के लिए काशी आए थे।

बिन पानी के नाव (Bin Pani Ke Naav)

बिन पानी के नाव खे रही है,
माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥

भला किसी का कर ना सको तो (Bhala Kisi Ka Kar Na Sako Too)

भला किसी का कर ना सको तो,
बुरा किसी का मत करना,

जिस घर में मैया का, सुमिरन होता(Jis Ghar Mein Maiya Ka Sumiran Hota)

जिस घर में मैया का,
सुमिरन होता,

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